Bhoot Ki Kahani In Hindi & भूत की कहानियाँ हिंदी में।

Bhoot Ki Dravani Kahani In Hindi इस लेख की सभी डरावनी भूत की कहानियाँ हिंदी में  पाठक को रहस्य, थ्रिलर का अनुभव कराकर डराने के लिए काफी हैं. जहाँ यह लेख आपको डराएगी वही आपका भरपूर मनोरंजन कर आनंद का अनुभव भी कराएँगी।

तो चलिए शुरू करते हैं सबसे बेहतरीन और रोंगटे खड़े करने वाला डरावनी भूतों की कहानियाँ। तो आनंद उठाइये ! Bhoot Ki Kahani

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Bhoot Ki Kahani In Hindi

प्राचीन समय की बात हैं महाभारत का युद्ध समाप्त हो चूका था पांडव अपने राज्य का भली-प्रकार से सञ्चालन शुरू कर दिए थे. हर तरफ एक बार पुनः धर्म की स्थापना स्थापित हो चुकी थी. राज्य के दूर पश्चिम दिशा में एक बहुत ही विशाल और घना वन था.

 एक से बढ़कर एक मायावी और जादूगरनियों का कभी अड्डा हुआ करता था. जिसमे से अधिकतर दुष्ट जादूगरनियाँ और दुष्ट जादूगरों ने कौरव का साथ देने की वजह से युद्ध में मार दिए गए थे उसमे जो कुछ बच गए थे वो दूर गहरे जंगल में अपने अस्तित्व की रक्षा करने लगे.

उस जंगल के निकट ही एक गांव था वह गाँव चुकी बहुत सम्पन्न था लेकिन पश्चिम दिशा से आये मायावी और बुरी जागूगरों द्वारा शोषित रहता था लेकिन इस गाँव के मुखिया ने पांडव का साथ दिया था इसीलिए युद्ध में विजय होने के पश्चात् वह गाँव अब चैन की शुकुन जी रहा था.

कई वर्ष बीत चुके थे उन्हें फिर कभी पहले जैसा उन जादूगरों के शोषण का शिकार नहीं होना पड़ता था. उस गांव में खुशहाली भरी जिंदगी सबकी बीत रही थी. इधर श्री कृष्ण भी स्वधाम जा चुके थे और पांडवो ने भी राज सुख त्याग हिमालय को प्रस्थान करने का निर्णय बना लिया था. 

पुरे आर्यवर्त में अपने प्रिये राजा पांडवो के हिमालय जाने के निर्णय का शोक था. एक जगह ऐसी थी जो शायद जन्मो जन्मो से इस पल का इन्तजार कर रही थी.

जगह उन्ही जंगलो के बिच बसे दुर्गम पहाड़ियों के उसपार थी जहाँ महाभारत युद्ध से बच निकले राक्षस और दानव रहते थे. पांडवो के युद्ध कौशल और श्री कृष्ण का भय ही था की उन लोगो द्वारा होने वाली दुष्टता में बहुत कमी आई थी.

डरावनी कहानी इन हिंदी 

लेकिन अब तो श्रीकृष्ण भी जा चुके थे और पांडवो ने भी हमेशा के लिए हिमालय में जाने का और वही शरीर त्यागने का निर्णय कर लिया था. और यही समय था की उन बुरे जादूगरों के टोले में ख़ुशी का माहौल था. उनको लगने लगा की अब उन्हें अपने उत्पात मचाने का समय मिल गया था.

उन जादूगरों के समूह में एक बहुत ही वृद्ध जादूगरनी थी जो सबकी प्रमुख थी उसकी उम्र लगभग 400 साल से ज्यादा थी लेकिन फिर भी वो अपने तंत्र के जादू से अभी भी एक दम नौजवान और खूबसूरत दिखती थी. वह अपना रूप बदलने में भी माहिर थी उसकी एक छोटी बहन भी थी वो भी बहुत सुन्दर थी लेकिन दोनों बहनो में मतभेद रहता था.

बड़ी बहन अपने जादू को लेकर अहंकार में रहती थी उसको लगता था की वो विश्व की सबसे शक्तिशाली और सुन्दर जादूगरनी हैं. और इसी घमंड में अंधे होकर वह अपने शक्तियों का उपयोग निर्दोष मनुष्यों जानवरों यहाँ तक की अपनी गुलामी नहीं स्वीकारने के कारण अपने बहन को भी जादू के दम पर मारने का प्रयास कर चुकी थी.

वही छोटी बहन भले ही बुरे जादूगरों के घर जन्म ली थी लेकिन बचपन से ही उसका हृदय कोमल और सबके प्रति प्रेम रखने वाला था. जादू तो उसे बचपन से ही आती थी लेकिन उसकी बड़ी बहन ने निर्दोष जानवरो और मनुष्यों की बली बुरी शक्तियों को देकर तथा उनकी पूजा कर उससे अधिक सिद्धि, शक्तियाँ और जादू  हासिल कर चुकी थी.

और इसी कारण वो घमंडी हो गई थी और वो बार-बार और ज्यादा शक्तियाँ पाने के लिए निर्दोष प्राणी के खोज में रहती थी ताकि उसकी बलि चढ़ा कर वो और शक्तियाँ हासिल कर सके. और हमेशा-हमेशा के लिए जवान और अमर हो सके.

Jadu ki kahani
Jadu ki kahani

जादूगरनी और उसकी सेना का अंत

अनेक अमावस्या बिता कई वर्ष बीते उस जादूगरनी का आतंक जारी रहा पांडवों को भी हिमालय जाकर शरीर त्यागे हुवे कई वर्ष बित चुके थे। उस जंगल के आस-पास के जितने भी गाँव थे हर तरफ उस जादूगरनी के दहशत का माहौल था. बगीचे खेल के मैदान यहाँ तक की उस जंगल के आस-पास के गुरुकुल भी बंद होने शुरू हो गए थे.

लोग अपने बच्चों को घर से बहार जाने देने से भी डरने लगे. उस जादूगरनी ने इतने वर्षो से अनेक लोगो को बच्चों को अपना शिकार बनाया था था उसने हमेशा मनुष्य रूप में अमर होने और सदा जवान रहने का वरदान प्राप्त कर लिया था.

इतनी शक्तियों के दम पर वह जादूगरनी अब और ज्यादा अहंकारी और घमंडी हो गई थी. महाभारत युद्ध में उसके कई परिचित और सगे-संबंधी मारे गए थे और उसकी बदले की आग में वह जल रही थी इतने वर्षो तक उसने अपनी शक्तियाँ बढ़ाने में लगाया अब उसने अपनी सेना बनानी प्रारम्भ कर दी.

उसने लोगो को अपने जादू से मोहित कर उनका दिमाग बदल कर उनकी स्मरण शक्ति गायब कर दी थी वह सभी सिर्फ उसकी जयजयकार करते और हथियार उठाकर युद्ध लड़ने को हमेशा तैयार हो जाते। उस जादूगरनी के प्रभाव से लोग अपना घरबार छोड़ उनको भूल जाता था और उसकी सेना में शामिल होने लगे थे और सभी नरभक्षी बनते जा रहे थे.

पहले तो लोगो को सिर्फ एक जादूगरनी का डर था अब तो उसकी सेना भी बन चुकी थी जो अपनी भूख मिटाने के लिए मनुष्यों को पकड़ना शुरू कर दिया था. सभी नगरों में त्राहिमाम-त्राहिमाम मच गया था. लोग अब अपने नगरों को छोड़कर अपने घर को छोड़कर जाना प्रारम्भ कर चुके थे.

भूत की कहानी डरावनी

उसी जगल में नदी किनारे एक गुरुकुल था. उस गुरुकुल के प्रमुख एक अत्यंत ज्ञानी और महान सिद्ध थे. वह भी इस जादूगरनी के समूल नाश का बहुत बार प्रयास कर चुके थे और एक बार और प्रयास में लग चुके थे. उन्होंने भी अपनी सिद्धियाँ बढ़ने के लिए और उसका नाश करने के लिए यज्ञ करना प्रारम्भ कर दिया।

उस जादूगरनी की छोटी बहन अपने बड़े बहन के गतिविधियों को देखकर बहुत दुखी रहती थी वह जानती थी की अधर्म अधिक समय तक नहीं चल सकता उसे एक दिन समाप्त होना ही हैं. उसने उसे अपने बातो से अपने जादू से बहुत समझाने और रोकने का प्रयास किया लेकिन उसके किसी भी कोशिश का उसकी बहन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता था.

तभी उस छोटी जादूगरनी को पता चला की नदी किनारे जो गुरुकुल हैं उस गुरुकुल में एक सिद्ध महात्मा उसके बड़ी बहन के आतंक को ख़त्म करने के लिए यज्ञ कर रहे हैं, तब वह छोटी जादूगरनी छुपते-छुपते उस गुरुकुल के पास गई.

अपने धर्म की शक्ति से उस महात्मा को आभास हो गया था की कोई राक्षसी कुल का प्राणी उस आश्रम के आस-पास विचरण कर रहा हैं लेकिन उसका हृदय कोमल हैं वह सहयोग करने आई हैं. महात्मा ने कड़ी आवाज में कहा तुम जो भी सामने प्रकट हो मैं जनता हूँ तुम किस हेतु यहाँ विचरण कर रहे हो.

उस छोटी जादूगरनी को महत्मा पर विश्वास था उसने अपने आप को उस महात्मा के समक्ष प्रस्तुत किया और उन्हें प्रणाम किया और कहा-'महाराज! आप जिस जादूगरनी के नाश के लिए यज्ञ कर रहे हैं मैं उसकी छोटी बहन हूँ लेकिन मैं उसके जैसा अधर्म नहीं करती।


अमरता का वरदान 

 मैं भी अपनी बहन के अत्याचार देखकर बहुत दुखी हूँ और आपका उसका राज बताने आई हूँ ताकि आपको उसके नाश करने में मदद मिले, मेरी बहन ने बली देकर मनुष्यरूप में सदा जवान और अमर रहने की शक्ति आ गई हैं वह कभी भी मनुष्यरूप में नहीं मर सकती उसे अमरता का वरदान प्राप्त हो चूका हैं।"

महात्मा ने शांत भाव से गंभीर स्वर में कहा- मैं अपने योगबल से सभी राज पहले से जानता था. और उसकी समाधान में भी लग चूका हूँ. .

उन्होंने पुरे विस्तार से अपनी योजना का वर्णन किया और कहा - "राजधानी में पाण्डवों के पौत्र एक अपने पिता को मृत्यु का बदला लेने के लिए एक यज्ञ कर रहे हैं जिस वजह से सभी सर्पों का अंत तय हैं यदि तुम्हारी बड़ी बहन को मनुष्य से सर्प में बदल दिया जाए तो उसका भी अंत संभव हैं क्युकी मनुष्यरूप में उसे कोई नहीं मार सकता।"

महात्मा की बात सुनकर वह छोटी जादूगरनी ने आस्वस्त भाव से कहा -' महात्मा जी मुझे आप पर पूरा विस्वास हैं. उस यज्ञ को बड़े-बड़े शक्तिशाली ऋषि-मुनि संचालित कर रहे हैं उसका परिणाम कभी विफल नहीं हो सकता परन्तु मेरी बड़ी बहन को सर्प रूप में बदलने के लिए आपके पास क्या उपाय हैं?'

"पिछले एकादशी के शुभ मुहूर्त  मैं उस जादूगरनी को सर्प रूप में बदलने के लिए यज्ञ प्रारम्भ कर दिया हैं इस यज्ञ से प्राप्त जल को उस जादूगरनी पर एकादशी के दिन ही छिड़क दिया जाए तो वह सर्प में परिवर्तित हो जाएगी और यज्ञ के प्रभाव से जल के भष्म हो जाएगी।" महात्मा जी ने कहा।

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Daravani Bhoot ki kahani- जादूगरनी का नाश

"एकादशी का वह शुभ दिन कल ही हैं और इसी प्रयोजन के सफलता हेतु तुमको मैंने ही बिलाया हैं" महात्मा ने छोटी जादूगरनी से कहा.

उसने हाथ जोड़ कर महात्मा जी के आदेश को स्वीकार किया और महात्मा से आशीर्वाद लेकर और वह पवित्र जल लेकर वापस जंगलो के बिच दुर्गम पहाड़ियों में बसे अपने अड्डे पर लौट आई. उसने उस जल को एक सुरक्षित जगह छुपा के रख दिया और रात बितने का इन्तजार करने लगी.

सूर्योदय होते ही उसने अपनी बड़ी बहन के पास जाने का निर्णय लिया वह डरती-डरती जल को अपने कपड़े में छुपाये अपनी बहन के पास पहुँची और उसको देखते ही महात्मा द्वारा दिया हुआ जल उसने उस बुरी जादूगरनी के ऊपर छिड़क दिया।"

जादूगरनी के शरीर पर उस पवित्र जल के पड़ते ही उसे जलन होने लगी और वह धीरे-धीरे सर्प रूप में परिवर्तित होने लगी जब वह पूर्ण सर्प बन गई तो जन्मेजय द्वारा संचालित यज्ञ के प्रभाव से उस जादूगरनी का नाश हमेशा-हमेशा के लिए हो गया.

उस जादूगरनी के मरते ही उसका प्रभाव कम होने लगा तथा जितने भी लोगो पर जादू किया था और अपनी सेना बनाई थी वो सभी लोगो पर से उसके जादू का प्रभाव ख़त्म हो गया और सभी आज़ाद हो गए और अपने-अपने घर वापस आ गए.

जादूगरनी के डर से जितने भी लोगो ने घर नगर छोड़ा था वो सब वापस आने लगे तथा सारे समाज में पुनः खुशहाली लौट आई बगीचे के झूले अब फिर से सजने और झूलने लगे थे खेल के मैदान में फिर से रौनक लौट आई थी. रोजगार और व्यापार में उन्नति होने लगी.

Bhoot Ki Kahani सच्ची घटना -मुहम्मद बचालो! मुहम्मद बचालो !

आज से करीब 30 साल पहले की बात हैं बिहार राज्य के पश्चिमी चम्पारण जिला में बीवी बन कटवा नामक एक गाँव हैं उस गाँव में श्री दत्तात्रेय शुक्ला जी एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं। उन्होंने बिना किसी स्वार्थ के लोगो के भलाई में जितना बन पड़ता था उतनी वो सहायता  करने में सबसे आगे रहते हैं। उस गाँव के लोग उनमे बहुत विस्वास और श्रद्धा का भाव रखते हैं।

बात उस समय की हैं जब वो सरकारी हाई स्कूल मेहुड़ा के प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत करते थे। वह प्रतिदिन साइकल चलते हुवे अपने गाँव से विद्यालय पढ़ाने के लिए जाया करते थे।

उनके रास्ते में एक बड़ी सी नहर तथा एक कई कोष का खेत पड़ता था। बिच-बिच में कई नाले तालाब बड़ी-बड़ी झाड़ियाँ पार करते हुवे उन्हें विद्यालय जाना पड़ता था। बिच रास्ते में एक नहर पार करने के बाद एक तलाब पड़ता था। शुक्ला जी के एक महाराज जी थे उनका एक मुस्लिम शिष्य था जिसका नाम था मुहम्मद'

कुछ दिन पहले ही महाराज जी अपने शिष्य मुहम्मद के साथ उस तालाब के पास गए थे मुहम्मद को पास में खेत खोदने को बोल खुद स्नान करने तालाब में उतर गए।

 महाराज जी को तैरना नहीं आता था इसीलिए वो किनारे पर ही नहा रहे थे। उस तालाब में एक बुड़वा(पानी में रहने वाला भूत) रहता था जो कई दिनों से अपने शिकार की खोज में था। वह बहुत दिन से भूखा था।

उसने सोचा की आज इसको नहीं छोडूंगा उसने पानी के अंदर से ही महाराज जी का पैर पकड़ कर धीरे-धीरे भीतर गहरे पानी में खींचने लगा। महाराज जी को यह आभास हो गया की भूत ने उनका पैर पकड़ लिए हैं तो वे अपने शिष्य को मदद के लिए चिल्लाने लगे।

डरावनी भूत की कहानियाँ हिंदी में 

'मुहम्मद बचालो! मुहम्मद बचालो ! लेकिन मुहम्मद खड़ा-खड़ा तमाशा देखता रह गया यदि उसने गाँव के लोगो को भी बुलाया रहता तो महाराज जी की जान बच सकती थी लेकिन महाराज जी मुहम्मद बचालो मुहम्मद बचालो कहते कहते मर गए.

जब गाँव वालो को यह बात पता चली तो वे दौड़े-दौड़े आये महाराज जी के शव को पानी में उतर कर खोजने का हिम्मत किसी का नहीं हो रहा था. शुक्ला जी अपने विद्यालय में थे आनन्-फानन में सूचना मिलते ही वो तालाब की तरह दौड़े.

शुक्ला जी जब पहुँचे तो वहा भीड़ लग चुकी थी. शुक्ला जी ने हिम्मत बढ़या और फिर एक बार में कई लोग मिलकर तालाब में गुरूजी का शव ढूंढना आरम्भ किया। बिच तालाब में महाराज जी का शव उल्टा जमीन में धंसा हुआ मिला.

बुड़वा ने उनके गर्दन को मरोड़ कर मिट्टी में धंसा दिया था और उनका सारा खून पि गया था। शव को बाहर निकाला गया और उनका अंतिम संस्कार किया गया.

कुछ दिन बाद तालाब के सटे हुवे गाँव में जैसे ही रात होती एक चीखती आवाज उस गाँव के लोगो को भयभीत कर देती थी. सब कोई उस आवाज के डर से अपने घरों में सूरज ढलते ही कैद हो जाते थे.

बिच रात होते ही एक बार फिर से चिल्लाने की आवाज आने लगी. ध्यान से सुनने पर पता चला की आवाज महाराज जी की हैं और वो वैसे ही चिल्ला रहे हैं जैसे मरते वक़्त चिल्ला रहे थे; 'मुहम्मद बचालो! मुहम्मद बचालो !


Bhoot Ki Kahani In Hindi

पुरे गाँव में डर का माहौल बन गया कोई भी दिन में भी उस तालाब की तरफ नहीं जाना चाहता था। लोगो ने अपने घरों से बच्चों को बाहर निकलने रोक लगा दी  मैदान सब खाली हो गए.

लोग कहने लगे की महाराज जी का शरीर तो नष्ट हो गया हैं लेकिन उनकी आत्मा उसी तालाब में कैद हो गयी हैं जो अभी भी वैसे ही चिल्लाती हैं जैसे मरने के समय चिल्ला रही थी। लोग तालाब की तरफ जान छोड़ दिए. तालाब के पास से जो सड़क गुजरती थी लोग वहा भी नहीं रुकते थे और जल्दी-जल्दी तालाब को पार करते थे.

शुक्लाजी को भी इस बात का पता लग चुका था तथा वो इसके समाधान के लिए प्रयोजन करने शुरू कर दिया.
आज विद्यालय से लौटते हुवे शुक्ला जी को देर हो गयी थी. अध्यापक शुक्ला जी ने अपने बेटी का विवाह भी मेहुड़ा (जहाँ वो पढ़ाने जाते थे) में ही किये थे, और वही उनको देरी हो गयी थी. शुक्ला जी को घर  रास्ते में ही रात हो गया। Bhoot Ki Kahani In Hindi.

धीरे-धीरे साईकिल की पौडील मारते हुवे सुनसान रास्ते पर आगे बढ़ रहे थे. अन्धेरा बहुत घनघोर था। उस रात में प्रकाश का नाम तक नहीं था उसमे भी मास्टरजी ने टॉर्च लाना भी भूल गए थे.

अनुभव और अंदाजे से वो रास्ते की टोह लेकर आगे बढ़ रहे थे. अब वो नहर पर चढ़ना शुरू कर दिया। नहर से उतरते ही वह तालाब पड़ता था जिसमे मास्टरजी के महाराज जी की मृत्यु हो गयी थी और आज भी डरावनी आवाजे आती हैं.

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अन्धेरा से ज्यादा शुक्ला जी को अब उस तालाब और उसकी कहानियों ने ठिठकने पर मजबूर कर दिया। तभी फट की आवाज आई और मास्टरजी का साईकिल पंचर हो गया.

अचानक से साईकिल का तालाब से ठीक पहले पंचर होना शुक्ला जी को सहमा देने के लिए काफी था. सन-सन कर सनसनाती हवा भी डराने लगी. शुक्ला जी ने एक बार अपने चारो तरफ देखा अँधेरी काली रात के सिवा उन्हें कुछ नहीं दिखा.

इस माहौल में खेतों में रहने वाले सियार हुँआ-हुँआ चिल्लाना डर के और बढ़ाने का ही काम कर रहा था. शुक्ला जी जैसा बुद्धिमान और बहादुर मनुष्य आज सचमुच में डर गया था। थोड़ी हिम्मत करके शुक्ला जी ने साईकिल को लेकर पैदल  चलना प्रारम्भ कर दिया.

जैसे-जैसे वो तालाब के निकट पहुँच रहे थे उनका कंठ सूखता जा रहा था उनके शरीर में खून सूखने लगे। आज हवा भी एक अलग ही डरावनी अंदाज में डराने लगी थी. जो रास्ते प्रतिदिन साथी होते थे आज वह भी अजनबी और भयावह लगने लगे थे.

मृत्यु को अब निकट देख शुक्ला जी को कुछ भी नहीं सोहा रहा था उनकी धड़कने बढ़ने लगी. तभी अचानक उस सुनसान और अँधेरी रात में एक व्यक्ति ने पीछे से आवाज लगाई -'का हो मास्टर ? का हाल हैं ? घर जा रहे हो क्या चलो मुझे भी बगल वाले गाँव में जाना हैं साथ ही चलते हैं.'


महाराज जी के आत्मा की शांति 

अचानक आई आवाज सुनकर पहले से डरे हुवे मास्टर जी की प्राण निकलने ही वाली थी की बोली की मधुरता और हालचाल पूछने के शब्द ने मास्टर जी के जान-में-जान डाला। मास्टर जी आश्चर्यचकित और अचंभित होकर उस व्यक्ति से उनका परिचय पूछा.

उस व्यक्ति ने बस यही कहा की बगल के गांव में मेरे सम्बन्धी रहते हैं मैं उन्ही के पास जा रहा हूँ. रास्ते में तुम मिल गए खैनी खाओगे ? मास्टर जी को उस व्यक्ति पर शक हो गया फिर भी वो उसके साथ आने से हिम्मत से आगे बढ़ने लगे. और आसानी से बिना किसी डर के तालाब को पार कर लिया.

उसके बाद कुछ दूर आगे बढ़ते ही मास्टरजी का गाँव आ गया और वही से दूसरे गांव की तरफ रास्ता जाता था.
उस व्यक्ति ने मास्टर जी से कहा -'ठीक हैं फिर मास्टर जी आप अपने घर जाओ और मैं भी उस गांव में जा रहा हूँ.

मास्टर जी तुरंत कुछ आगे बढ़ गए और छिप के देखने लगे की वो आदमी कहा जा रहा हैं ? वे देखते रह गए और वह व्यक्ति जैसे अचानक आया था वैसे ही अचानक मास्टरजी के आँखों के सामने से ही गायब हो गया.

मास्टर जी सारी बात समझ गए की मुझे डरते हुवे देख किसी अच्छी आत्मा ने मेरी सहायता की और उस तालाब को पार करने में मेरी मदद की. शुक्ला जी ने ईश्वर को और अपने महाराज जी को धन्यवाद कहा और महाराज जी के बच्चों के साथ मिलकर उनकी आत्मा की शांति के लिए यज्ञ, हवन और पूजा आदि किया.

महाराज जी के आत्मा को शांति मिल गयी और अब उस गांव  लोग भयमुक्त हो गए. अब तालाब से किसी की आवाज नहीं आती हैं सभी ग्रामीण सुखपूर्वक रहना आरम्भ कर देते हैं.

गीता के प्रभाव से चुड़ैल भागी चुड़ैल की कहानी  

गीता के अध्ययन और श्रवण की तो बात ही क्या हैं, गीता को रखने मात्र का भी बड़ा माहात्म्य हैं ! एक सिपाही था। वह रात के समय कही से अपने घर आ रहा था। रास्ते में  चन्द्रमा के प्रकाश में एक वृक्ष के निचे एक सुन्दर स्त्री देखी।

उसने उस स्त्री से बातचीत की तो उस स्त्री ने कहा -'मैं आ जाऊ क्या?' सिपाही ने कहा -हाँ, आ जा। सिपाही के ऐसा कहने पर वह स्त्री, जो वास्तव में चुड़ैल थी, उसके पीछे आ गयी।  अब वह रोज रात में उस सिपाही के पास  आती, उसके साथ सोती, उसका संग करती और सबेरे चली जाती।

इस तरह वह उस सिपाही का शोषण करने लगी अर्थात उसका खून चूसकर उसकी शक्ति क्षीण करने लगी। एक बार रात में वे दोनों लेट गये, पर बत्ती जलती रह गयी तो सिपाही ने उससे कहा की तू बत्ती बंद कर दे।

उसने लेटे-लेटे  हाथ लंबा करके बत्ती बंद कर दी। अब सिपाही को पता लगा की यह कोई सामान्य स्त्री नहीं हैं, यह तो चुड़ैल हैं ! वह बहुत घबराया। चुड़ैल ने उसको धमकी दी की अगर तू किसी को मेरे बारे में बतायेगा तो मैं तेरे को मार डालूँगी।



चुड़ैल भाग गयी Bhoot Ki Kahani In Hindi.

इस तरह वह रोज रात में आती और सबेरे चली जाती। सिपाही का शरीर दिन-प्रतिदिन सूखता जा रहा था। लोग उससे पूछते की भैया ! तुम इतने क्यों सूखते जा रहे हो। क्या बात हैं, बताओ तो सही ! परन्तु चुड़ैल के डर के मारे वह किसी को कुछ बताता नहीं था।

दुकानदार ने दवाई की पुड़िया बांधकर दे दी। सिपाही उस पुड़िया को जेब में डालकर घर चला आया। रात के समय में जब वह चुड़ैल आयी, तब वह दूर से  ही खड़े-खड़े बोली की तेरी जेब में जो पुड़िया हैं, उसको निकलकर फेंक दे।

सिपाही को विस्वास हो गया की इस पुड़िया में जरूर कुछ कारामात हैं, तभी तो आज चुड़ैल मेरे पास नहीं आ रही हैं ! सिपाही  कहा की मैं पुड़िया नहीं फेंकूँगा। चुड़ैल ने बहुत कहा, पर सिपाही ने उसकी बात नहीं मानी।

जब चुड़ैल का उस पर कोई असर नहीं चला, तब वह चली गयी। सिपाही ने जेब से पुड़िया  निकालकर देखा तो उस कागज पर गीता का श्लोक लिखा था ! इस तरह गीता का प्रभाव देखकर वह सिपाही हर समय अपनी जेब में गीता रखने लगा। वह चुड़ैल फिर कभी उसके पास नहीं आयी।

मॉडर्न ज़माने के Bhoot Ki Kahani  

बात देश के राजधानी दिल्ली के दक्षिणी भाग साउथ एक्स का हैं. मैं और मेरे दोस्त हमेशा की तरह क्लास करके अपने हॉस्टल की तरफ जा रहे थे। हॉस्टल पहुँच के हमने खाना खाया और क्रिकेट खेलने की तैयारी करने लगे. टीम बनाया और बैट और गेंद लेकर हम सभी पास में ही अंसल प्लॉजा के समीप वाले फील्ड में खेलने के लिए निकल गए.

शाम तक खेलने के बाद हम वापस हॉस्टल आ गए. हॉस्टल आने पर हमें एक न्यू लड़के से मुलाकात हुई जो उसी दिन उस हॉस्टल में रहने आया था तथा बिहार का रहने वाला था. वो भी हम सभी की तरह इंजीनियरिंग की तैयारी करने आया था.

मेरे रूम में अकेला रहता था एक बेड अभी खाली था तो हॉस्टल वार्डन ने उसे मेरे साथ ही सिफ्ट कर दिया। कुछ ही दिनों में वह हम सभी से बहुत मिल जुल गया. हमारे मित्र मंडली का वो अब भाग बन चुका था। साथ ही खाता, पढ़ने जाता और खेलने भी जाता.

हम सभी मित्रों  लगाव एक राहुल नाम के लड़के से ज्यादा था वो हमारे बगल वाले ही रूम में रहता था. वह लड़का बहुत ही तेज था iit के कठिन से कठिन प्रश्न आसानी से सॉल्व कर देता था. हम सभी तो विस्वास था की वो एग्जाम में पुरे भारत में टॉप करेगा.

लेकिन उसे परीक्षा नहीं देनी थी वह किसी और उद्देश्य से आया था. उसके आने के बाद से राहुल दो बार बड़ी-बड़ी दुर्घटना में बाल-बाल बचा था. और दोनों बार दुर्घटना के समय सिर्फ वो लड़का ही उसके साथ रहता था।
लेकिन हमने कभी ध्यान नहीं दिया.

माँ से बड़ा विज्ञान भी नहीं Bhoot Ki Khani In Hindi

राहुल अपने गले में एक ताबीज पहनता था. जिसको उसकी माँ ने बनवा कर दिया था और कहा था की इसे कभी अपने पास से अलग मत करना. लेकिन वह लड़का राहुल से बार-बार अकाट्य तर्क देता की यह सब अंधविस्वास हैं तुम क्यों पहनते हो? विज्ञान के विद्यार्थी होकर भी तुम इन ताबीज में विस्वास करते हो कितनी मूर्खता वाली बात हैं मैं रहता तो तोड़ के फेक देता.'

तुमको भी फेक देना चाहिए. लेकिन राहुल भी विज्ञान का विद्यार्थी था उसने कहा विज्ञान ही अंतिम सत्य नहीं हैं. इसमें मेरी माँ का प्रेम हैं भुत-प्रेत अलग बात हैं. माँ ने कहा हैं, मै उनसे ज्यादा नहीं जानता. लेकिन तुम क्यों इस ताबीज के पीछे पड़े हो.

उस लड़के ने सकपकाते हुवे कहा की नहीं मैं तो बस अपने विचार प्रकट कर रहा था. राहुल ने यह बात मुझसे बतायी मैंने कहा भाई माँ से बड़ा विज्ञान भी नहीं हैं. इसको कभी मत हटाना। यह बात ख़त्म हो गयी.

कुछ ही दिनों बाद राहुल का जन्मदिन था हम सभी तैयारी में जुट गए थे. जन्मदिन आया हम सभी पार्टी के लिए तैयार थे और रात 8 बजे छत पर पार्टी शुरू हो गयी डांस शुरू हो गया. उसी डांस में राहुल के गर्दन में पड़ा ताबीज टूट गया तथा उसने उसको वही पास के टेबल पर रख दिया और फिर डांस करने में जुट गया.

मैं भी पास में खड़े हो कर ड्रिंक्स सर्व कर रहा था। पार्टी एकदम अपने शबाब पर थी. तभी वह लड़का दौड़ता मेरी तरफ आया उसकी आँखे एकदम लाल थी उसका शरीर मानो क्रोध से जलने लगा उसने बियर की बोटल उठायी और राहुल के सर पर फोड़ दिया.

darawani Bhoot Ki Kahani In Hindi
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ताबीज का कमाल Darawani kahani 

कुछ लड़के भागने लगे और कुछ उसको पकड़ने लगे ताकि राहुल पर वो दुबारा हमला न करे फिर उसने उन लड़को को  उठाकर दूर फेक दिया जैसे कोई टुकड़ा फेक रहा हो। मुझे सिर्फ इतना समझ में आया की बगल में रॉड उठाकर उसके सर पर मार दू जिससे की वो मर जाए।

मैंने रोड उठाई और उसको मारने के लिए उसके गर्दन में रोड को आरपार कर दिया लेकिन यह क्या उसको कोई परवाह ही नहीं था रोड उसके गर्दन के आर-पार  फिर भी खून का एक कतरा तक नहीं गिर रहा था। और ना ही उसको कोई फर्क पड़ रहा था उसने एक हाथ मुझे मारा मैं दिवार में जाकर लड़ा मेरे सर से भी खून निकलने लगा।

मैं बेहोसी की हालत में पहुँचने ही वाला था की मैंने देखा की उसने अपने ताकतवार हाथो से बेहोस राहुल को उठा लिया और उसका खून पिने लगा। मेरा तो दिमाग ही खराब हो गया। लेकिन तभी मुझे राहुल का ताबीज याद आया मैंने उसको टेबल पर रखते हुवे देखा था। मैं सारा खेल समझ चुका था।

मेरी आँखों में एक चमक जागी मैंने तनिक भी समय गवाएँ बिना टेबल पर रखे ताबीज की तरफ लपका और  ताबीज को उठाकर उस हैवान के शरीर पर फेक दिया। ताबीज का स्पर्श पाते ही वह दर्द से तड़पने लगा और उसके हाथ से राहुल छूट कर निचे गिर गया। उसके शरीर में आग लग गई और वह जल कर वही भस्म हो गया।

मैं दौड़ के पास राहुल के पास गया वह अभी ज़िंदा था लेकिन बेहोस था। तभी मैंने पुलिस को छत पर आते देखा किसी ने पुलिस को फ़ोन कर दिया था। मैंने तुरंत अपना मोबाइल निकाला और एम्बुलेंस को फोन किया और राहुल के शरीर को उठाकर हम निचे उतरने लगे।


राहुल की जान बच गयी- 

पुलिस ने पूछा क्या हुआ मैंने कहा सर हम सब विस्तार से बताएँगे लेकिन पहले आप इस लड़के को हॉस्पिटल पहुंचाने का इंतजाम कीजिये ब्लड बहुत गिर चुका हैं और किसी ने खून पि भी लिया हैं बस आप जल्दी कीजिये।
पुलिस को मजाक लगा लेकिन वहा की स्थिति और खून से लतपथ हमको देख कर और हमारी बातो की गंभीरता को देखकर वह भी डर गया और दौड़ कर अपना गाडी स्टार्ट किया और कहा एम्बुलेंस के आने से पहले पुलिस की गाडी से हॉस्पिटल चलते हैं।

हमने तुरंत राहुल को गाडी में लादा और हॉस्पिटल की तरफ चल पड़े। रास्ते से राहुल के घर फोन कर उसके माँ-पापा को भी बुला लिया गया। हॉस्पिटल में राहुल को एडमिट कर दिया मेरा भी  पट्टी हो गया। राहुल की माँ भी आ चुकी थी हम अब हॉस्पिटल से वापस हॉस्टल आ चुके थे।

हॉस्टल के वार्डन मालिक सभी लोग ऑफिस में पहले से हमारा इन्तजार कर रहे थे। हम वहा पहुँचे तो उन सभी लोगो चेहरे पर डर झलक रहा था। मैंने आते ही पूछा की जो लड़का आया था उसका डाक्यूमेंट्स कहा हैं। हॉस्टल वार्डन सकपका गया उसने कहा की मैं पिछले एक घंटे से खोज रहा हूँ इसी अलमीरा में सबका डाक्यूमेंट्स रखता हूँ और सबका हैं भी बस उसी लड़के का नहीं हैं।

पुलिस ने मेरी तरफ डंडा करते हुवे कहा की बहुत इन्क्वायरी तुमने कर ली अब मुझे सभी बात साफ़-साफ़ बताओ किस लड़के का और क्यों डाक्यूमेंट्स खोज रहे हो यह तोड़ फोड़ और राहुल की हालत का जिम्मेदार कौन हैं।



कैमरा से गायब - डरावनी भूत की कहानियाँ हिंदी में 

मैंने कहा इन सभी का जिम्मेदार एक भूत हैं, और सारी कहानी कह सुनाई। पुलिस वाले को विस्वास नहीं हुआ उसने सख्ती से पूछा की वह लड़का कौन हैं उसने मारपीट करके अपना डाक्यूमेंट्स लेकर भाग गया हैं तुम उससे मिले हुवे हो और उसको बचाने के लिए यह कहानी बना रहे हो।

एक मुसीबत हटी नहीं थी की अब पुलिस का यह धमकी आज मैंने किसका मुँह देखा था। अब मैं कैसे बताता की यह सही बात हैं। तभी  cctv कैमरा पर पड़ा मैंने कहा वो कैमरा उसमे सब रिकॉर्ड हुआ होगा आप लोग देख लीजिये।

वार्डन तुरंत कंप्यूटर की तरफ बढ़ा और उसने रिकॉर्डिंग चला दी। रिकॉर्डिंग देखकर सबके पैर के निचे की जमीं खिसक गयी। कैमरा में हम सब दिख रहे थे लेकिन वह लड़का कही नहीं दिख रह था। उससे लड़ते हुवे सब दिख रहे थे  रहा था ऐसा लग रहा था की हम सब हवा में हाथ और रॉड चला रहे हैं।

राहुल को किसीने उठाया नहीं हैं वो तो हवा में उड़ रहा था। वह लड़का जब पहली बार एडमिशन के लिए आया था उस समय का भी रिकॉर्डिंग देखा गया जिसमे वॉर्डन हवा से बात करते हवा से फॉर्म भरवाते और अलमीरा खोल कर हवा रखते हुवे दिखा।

अब पुलिस को भी विस्वास हो गया की हा कुछ तो गड़बड़ हैं। पुलिस वाले क्या करते उन्होंने हमे सावधान कर चले गए। मैं भी कुछ दिनों बाद वह हॉस्टल छोड़ दिया।

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