Pariyon Ki Kahani #बेस्ट परियों की कहानी हिंदी में

Pariyon Ki Kahani - एक अलग दुनिया की सैर कराने वाली यह बेस्टपरियों की कहानी हिंदी में  पढ़ कर आप रोमांचित हुए बिना नहीं रह पाएंगे। ये सभी कहानियाँ जादुई, रहस्य्मयी और तिलस्मी हैं, जिसको पढ़ने या सुनने से हमें एक अलग ही दुनिया का अनुभव होता हैं तथा हृदय आनंद से भर जाता हैं। 

कई ऐसे Pariyon Ki Kahani हैं जो हमारा भरपूर मनोरंजन करने के साथ-साथ हमें शिक्षित भी करती हैं तथा अच्छे कर्म करने की प्रेरणा भी देते हैं। आज हम ऐसे ही कुछ सर्वोत्तम और बिल्कुल यूनिक परियों की कहानी हिंदी में आप सभी पाठकों के लिए लेकर उपस्थित हूँ,  तो चलिए शुरू करते हैं. Pariyon Ki Kahani.

शरारती परी को मिला सबक: Pariyon ki Kahani  

हिमालय के बीचों बीच एक पहाड़ के चोटी के पास घने जंगलों के बिच, एक रहस्यमयी परियों की दुनिया थी। मनुष्यों के लिए वहाँ पहुँचना असंभव था। पहाड़ी के ठीक निचे वनवासी भाइयों का एक गांव था, जिनमे सन्यासी और तपस्वी भी रहते थे।

स गांव के तपस्वि लोगो को परियों के दुनिया बारे में पता था। जो सिद्ध महात्मा थे वे समय समय पर परियों के महल में भी जाते थे। परियों की रानी उन महात्माओं को अपने राजदरबार में पुरे मान-सम्मान के साथ उचित स्थान पर बैठाती थी।

परियों के महल के ठीक निचे वाले पहाड़ से एक बहुत ही सुन्दर और शीतल जल का झरना निचे की तरफ बहता था। इसी झरने के जल का उपयोग करते थे। Pariyon ki kahani.

परियों का महल बहुत ही भव्य और सुन्दर था। उस महल के अंदर एक अलग ही दुनिया बस्ती थी। उस महल के अंदर सभी सुख- सुविधा उपस्थित था। महल के अंदर बड़े-बड़े हिमालय को चुनौती देती पहाड़ियाँ थी। साथ ही सप्तसमुद्र के बराबर कई समुद्र मौजूद थे। हर तरफ उड़ते बाग़-बगीचे थे। साथ ही इस महल में बड़े परी से लेकर छोटी परी भी रहती थी।

परियों के रानी की एक बेटी थी जिसका नाम शीतल था, लेकिन अपने नाम के विपरीत वह बहुत शरारती थी। शीतलता वाला कोई गुण उसके अंदर नहीं था। वह हमेशा अपने शरारत से महल में कोई न कोई मुसीबत उत्पन्न करती ही रहती थी।

एक बार उसने अपनी शरारत से महल के अंदर की दुनिया में अपने विशेष शक्तियों का उपयोग करके सभी परियों को तितली बना दिया था और दिनभर उनके पीछे-पीछे दौड़ते रही और उनको परेशान करती रही। महारानी के डाँटने पर उसने अपना जादू वापस लिया और सभी तितलियों को वापस परी बना दिया। Pariyon ki kahani.


अभिमान नहीं करना चाहिए Priyon ki Kahani Hindi 

महारानी के लाड-प्यार ने शीतल परी को और बिगड़ैल बना दिया था। यदि महारानी परी शुरू से ही अपने बच्चें को प्रेम के साथ-साथ कठिन अनुशासन का पाठ पढ़ाया होता तो आज यह दिन नहीं आता। शायद सही कहा गया है की माता- पिता को कुम्हार की भाँति बच्चों को बाहर से सहलाना चाहिए और अंदर से कठोर बन उनके सर्वांगीण विकास पर ध्यान देना चाहिए।Pariyon Ki Kahani.

शीतल परी को अपने जादू का, साथ ही अपने राजकुमारी होने का भी घमंड हो गया था। अपने जादुई शक्ति साथ ही अपने पद का दुरूपयोग कर वो अक्सर अन्य परियों को परेशान करती रहती थी। महारानी की पुत्री होने की वजह से उससे कोई उलझता भी नहीं था। Pariyon Ki Kahani.

एक दिन तो उसने अति कर दिया महल को छोड़कर वह निचे के गांव में चली आई और रूप बदलकर छोटे-छोटे बच्चों के साथ खेलने लगी खेल-खेल में उसने अपने जादू से सभी बच्चों को खेलने का खिलौना बनाकर अपने साथ महल में लेकर चली आई, और कठपुतली की तरह उनके साथ खेलने लगी। Pariyon Ki Kahani.

परियों की कहानी हिंदी में पढ़ने के लिए

शरारती परी उन्हें कभी पटक देती तो कभी उनकी टाँग खींच देती थी। जिससे उन बच्चों को बहुत दर्द होता था लेकिन जादू की वजह से उनकी आवाज भी नहीं निकल रही थी।

इधर निचे गांव में कई बच्चों के गायब होने की वजह से पुरे गांव में रोने बिलखने की आवाजें आने लगी सभी अपने-अपने बच्चों को खोजने लगे। कोई जंगलो में खोजता, कोई झरने के आस-पास खोजता हैं तो पहाड़ों के गुफाओं में खोजने लगा। पूरा गांव बच्चों के लेकर बहुत चिंतित हो गया। Pariyon ki kahani.

अंत में सब खोजते-खोजते थक गए और गांव के सबसे सिद्ध बाबा के पास रोते -रोते पहुँचे। बाबा उनके आने से पहले ही गांव पर आन-पड़ी समस्या के लिए ध्यान-मग्न थे। Pariyon ki kahani.

सभी ग्रामीण रोते-बिलखते बाबा के पास पहुँचे। बाबा जैसे उनका ही प्रतीक्षा कर रहे थे। उन्होंने उनके आते ही कहा हम सभी को चोटी में स्थित महल में जाना होगा। सभी ग्रामीण आश्चर्यचकित थे की चोटी इतनी बड़ी हैं साथ में इतनी कठिन चढ़ाई हैं आज तक कोई चढ़ पाया और बाबा वहाँ स्थित किसी महल की बात कर रहे हैं।

साधू बाबा ने अपने योगशक्ति से सबको दिव्यदृष्टि दीया और अपने साथ अंतर्ध्यान कर के सबको महल की तरफ लेकर निकल गए। रास्ते में ग्रामीणों ने देखा की जो झरना ऊपर वाले चोटी से गिरती थी उसके ऊपर एक महल हैं जिसको दिव्यदृष्टि प्राप्त होने के बाद दिखाई देने लगा था।

परी की कहानी हिंदी 

साधू बाबू नियम के उल्घन से आहत थे इसीलिए बहुत दुखी थे उन्होंने राज दरबार में जा कर परियों की महारानी को बहुत कठोर भाषा में समझाया की यह जादुई शक्तियाँ ईश्वर ने आप सभी परियों को विश्व कल्याण करने के लिए दिया हैं सभी प्राणियों के रक्षा करने के लिए दिया गया हैं।

आपकी पुत्री ने एक बार नहीं अनेक बार इस नियम को तोडा हैं और जबतक उसे वास्तव में अपनी गलतीयों का प्रायश्चित नहीं होता उसकी शक्तियाँ मैं उससे ले रहा हूँ।

साधु बाबा ने आँख बंद कर अपने इष्टदेव को याद करके कुछ मंत्रो को बोला और देखते ही देखते राजकुमारी शीतल परी का जादुई छड़ी और उनके दोनों पंख विलुप्त हो गए।

इस कहानी से हमें यही सिख मिलती हैं की हमें कभी भी अपनी शक्तियों का दुरूपयोग नहीं करना चाहिए। हमें कभी अभिमानी या घमंडी स्वाभाव का नहीं होना चाहिए।  हमें हमेशा अपनी शक्तियों का प्रयोग सभी प्राणियों के सुख में करना चाहिए।

Pariyon ki kahani

बहुत पहले की बात हैं एक राजा और रानी थे उनके 8 बेटियाँ थी. दोनों राजकुमारी एक से बढ़कर एक सुन्दर रूप वाली थी. वो राज्य में जब भी घूमने निकलती थी प्रजा उनके रूप पर मोहित हो जाते थे और एक टक एक ही नजर से उन सभी के सौंदर्य को निहारते रह जाते थे. pariyon ki kahani.

Pariyon Ki Kahani सर्वोत्तम परियों की कहानी हिंदी में
Pariyon Ki Kahani सर्वोत्तम परियों की कहानी हिंदी में


सबसे छोटी राजकुमारी का नाम नीलम था. नीलम दिखने में अपने सभी बहनो से ज्यादा सुन्दर और सुशील थी साथ ही वह अपने सभी बहनो से ज्यादा दयालु और पशु-पक्षियों को प्रेम करने वाली थी. एक बार वो अपने बगीचे में तितलियों और पक्षियों के साथ खेल रही थी. फूलों और फलों से भरे उस बड़े बगीचे में खेलते-खेलते राजकुमारी बगीचा के काफी अंदर चली गई. Pariyon Ki Kahani.

तभी उसने एक खून से लथपथ एक हिरण के बच्चें को देखा उसे तीर लगी थी. राजकुमारी नीलम का ह्रदय करुणा से भर गया वो दौड़ के उस हिरन के पास गईं.

हिरण के आँखों से आशु निकल रही थी. हिरण के बच्चे ने तभी कहा-'नीलम मैं तुम्हें जानता हूँ तुम बहुत अच्छी लड़की हो' राजकुमारी नीलम हैरान हो गई वहाँ उनदोनो के अलावा कोई नहीं था. फिर क्या यह बात हिरण का  बच्चा बोला ? राजकुमारी हैरानी से उस हिरन को देखने लगी'

तभी हिरन ने दुबारा कहा-'हैरान मत हो राजकुमारी मैं कोई साधारण हिरन नहीं हूँ दूसरे लोक की एक परी हूँ एक दुष्ट ने चोरी से मेरी जादुई छड़ी चुरा लिया जिससे मैं असहाय हो गई और उसने मुझे अकेले पाकर अपने दुष्ट शक्तियों से हिरन के बच्चे में बदल दिया और यहाँ पृथ्वी पर लाया'


Pariyon ki kahani Hindi Mai

आज मौका देखकर मैं वहाँ से भाग निकली उसे पता चल गया और उसने अपने जादुई तीर से मुझे मार दिया हैं मैं अब ज्यादा दूर नहीं भाग सकती वह दुष्ट तांत्रिक मेरे पीछे पड़ा हुआ हैं यदि तुम यह तीर जल्दी से निकाल दो और मुझे गंगा जल पीला दो तो मैं मुक्त हो जाऊँगी और मेरी शक्ति भी वापस आ जाएगी'

राजकुमारी नीलम ने उस हिरन के शरीर में लगा तीर निकाल दिया तथा अपने दुपट्टे में से कुछ वस्त्र फाड़कर
बाँध दिया जिससे खून का बहना बंद हो जाए. उसके बाद राजकुमारी ने उस हिरन के बच्चे को अपने गोद में उठाया और उसे लेकर राजभवन की तरफ चल पड़ी.

रास्ते में उस हिरन ने राजकुमारी से कहा की -'इस बात को तुम राज ही रखना यदि किसी को भी इस घटना के बारे में या उसके बारे में कभी भी किसी को नहीं बताने का वादा लिया' Pariyon Ki Kahani Hindi Mai

राजकुमारी हिरन के बच्चे को छुपाते हुवे अपने कमरे में पहुँच गई वहाँ उन्होंने हिरन के बच्चे को अपने मलमल के बिस्तर पर रख दिया और दौड़ के गंगाजल लाने के लिए चली गईं. Pariyon Ki Kahani Hindi Mai.

राजकुमारी नीलम ने गंगाजल को एक पात्र में बहकर कर हिरन के बच्चे को पिलाया। गंगाजल पीते ही हिरन के बच्चे की जगह एक अत्यंत खूबसुरत चमकती हुई परी खड़ी थी. उनके हाथ में एक जादुई छड़ी भी थी उनके दो पंख भी थे जिनकी वजह से परी हवा में ही खड़ी थी.परी के आते ही कमरे में चारो तरफ सुगंध फ़ैल गया.

Pariyon Ki Kahani Hindi Mai
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सुनहरी परी की जादुई अँगूठी 

राजकुमारी नीलम की आँखे आश्चर्य से फटी की फटी ही रह गई. उसे विस्वास नहीं हो रहा था की उसके सामने खुद सोने जैसा चमकता हुआ एक सुनहरी परी खड़ी हैं.

परी ने मुस्कुराते हुवे कहा-'प्यारी नीलम मैं जानती हूँ तुम दिल की बहुत अच्छी लड़की हो जब मैंने तुम्हे देखा था तभी पहचान लिया था और तभी तुमसे सभी बाते बताई और तुमने मुझे बचाया मैं तुमपर बहुत खुश हूँ माँगो क्या माँगती हो जो तुम्हारा मन करें।'

राजकुमारी नीलम को ख़ुशी को ठिकाना नहीं रहा वो सुनहरी परी को देखकर बहुत प्रसन्न थी वो चाहती थी की परी हमेशा उसके साथ ही रहे उसके साथ खेले-कूदे नृत्य करें। Pariyon Ki Kahani Hindi Mai

परी ने कहा-'प्यारी नीलम मैं तुम्हारे पास तो हमेशा के लिए नहीं रह सकती लेकिन तुम जब भी मुझे बुलाओगी मैं तुम्हारे पास आ जाऊंगी तुम्हारे साथ खेलूंगी और खूब मिठाइयाँ खाऊँगी और तुम्हें सभी परेशानियों से भी बचाऊँगी।'

फिर परी ने अपने जादू से एक अँगूठी बनाया और उसको राजकुमारी को देते हुवे कहा की इस अँगूठी को अपने पास रखना जब भी मुझे बुलाना होगा ी अंगूठी से कह देना मैं हमेशा तुम्हारे पास चली आऊँगी।'

इतना कहकर परी ने नीलम के पास से अपने लोक में चली गईं. परी के जाते ही राजकुमारी उदास हो गई लेकिन अँगूठी को देखकर राजकुमारी के चेहरे पर फिर से मुस्कान दौड़ आई. और एक रहस्यमई मुस्कान लिए राजकुमारी रहने लगी और यह बात उन्होंने कभी किसी को नहीं बताया।

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परियों की कहानी हिंदी में

एक बहुत ही निर्धन तथा मेहनती लकड़हारा था. उसके घर में उसके साथ बूढ़े माँ-बाप,पत्नी और दो बच्चे रहते थे। इन सबकी जिम्मेदारी उस लकड़हारे के कंधे पर ही थी. वह दिनभर जंगलो में घूम-घूमकर सुखी लकड़ियाँ काटता तथा शाम होते ही वह इन लकड़ियों को बाजार में लेकर जाता था।

इन लकड़ियों को बाजार में बेचने से जो पैसा मिलता था, उसी पैसे से उसके घर के सभी काम हो जाते थे। उसका प्रतिदिन का दिनचर्या यही था। सुबह होते ही वह अपनी कुल्हाड़ी उठाकर जंगल की तरफ लकड़ी काटने निकल जाता और फिर उनको बेचकर जो पैसे मिलते उन पैसो से सब्जी, चावल और आँटा आदि आवश्यक वस्तुएँ  खरीदकर शाम तक घर आ जाता था। Pariyon ki kahani hindi.

एक दिन वह सुबह-सुबह खाने की पोटली और कुल्हाड़ी लेकर प्रतिदिन की तरह लकड़ी काटने निकल गया जंगल में घूमते-घूमते, वह एक सरोवर के निकट रुक गया उस सरोवर के किनारे एक पेड़ था। लकड़हारे ने देखा की उस पेड़ पर कुछ टहनियाँ सुखी हुई थी।

उसी सरोवर किनारे एक शिव मंदिर था। उस शिव मंदिर की रक्षा एक सुनहरी स्वर्ण परी करती थी। सुनसान जंगल के बिच में यह शिव मंदिर था जहा कोई आता जाता नहीं था। लकड़हारा ने सरोवर और शिवालय को देखकर वही भोजन करने का मन बनाया। उस सरोवर का जल बहुत ही शीतल था। लकड़हारे ने हाथ-पैर धोकर मंदिर में पुरे भक्ति भाव से शाष्टांग प्रणाम किया।

गरीब लकड़हारे के भक्ति भाव को देख कर स्वर्ण परी बहुत खुश हुई और उन्होंने उसकी परीक्षा लेने का निर्णय लिया। परी ने एक भूखे वृद्ध पुरुष का रूप बना लिया और लकड़हारे को निहारने लगी। Pariyon ki kahani.

लकड़हारा पास के ही एक वृक्ष के निचे बैठ कर भोजन करने के लिए अपने भोजन की गठरी खोलने लगा। तभी उसकी नजर एक वृद्ध व्यक्ति जो सामने से एक टक नजर से उसकी रोटी के तरफ देख रहा था उस पर पड़ी। लकड़हारा को समझ में आ गया की वह वृद्ध व्यक्ति बहुत ही भूखा हैं. भूखा तो लकड़हारा भी था और अत्यंत गरीब भी उसके पास बस वही दो रोटी थी। 

परियों की कहानी हिंदी में
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Pariyon ki kahani hindi mai

शाम को रोटी मिलेगी, यह भी निश्चित नहीं था. फिर भी लकड़हारा ने अपने सामने की दोनों रोटी उस वृद्ध को खाने के लिए दे दिया। अपने हाथो में रोटी पाकर उस वृद्ध के चेहरे पर एक चमक आ गई और फिर वह उन रोटियों पर टूट पड़ा और खाने लगा।

लकड़हारा ने तालाब में जाकर पानी पिकर अपनी भूख मिटाई और कुल्हाड़ी लेकर वृक्ष पर चढ़ कर सुखी लकड़ियाँ काटने लगा. स्वर्ण परी को लकड़हारे पर बहुत प्रसन्नता हुई तथा उन्होंने उसे साक्षात् दर्शन दिया।

अपने सामने इन्द्रासन के अप्सरा सामान परी को खड़ा देखकर लकड़हारा हक्काबक्का रह गया. परी ने लकड़हारे से कहा की मैं तुम्हारे दानशीलता पर बहुत खुश हूँ. और तुम्हे इनाम स्वरुप बहुमूल्य रत्न मणि दे रही हूँ इनसे तुम्हारी गरीबी हमेशा-हमेशा में लिए मिट जाएगी।'

लकड़हारा हाथ जोड़े खड़ा था परी ने उसे बहुमूल्य रत्न दिए और अंतर्ध्यान हो गयी. लकड़हारा रत्न मणि लेकर ख़ुशी-ख़ुशी घर आ गया.



परियों की दुनिया और राजकुमारियाँ 

द्वापरयुग के आरम्भ में एक बहुत ही बड़ा राज्य था उसका राजा बहुत ही बलवान और शक्तिशाली था. उसने कई युद्ध लड़े थे कभी मात नहीं खाई थी. लेकिन आजकल वो एक गहरे चिंतन में रहता था शायद वह मानसिक युद्ध हार रहा था.

उसकी चिंता का विषय कोई और नहीं उसकी खुद की बेटियाँ ही थी. उसको पता चला की उसकी सभी बेटियाँ रात में कही गायब हो जाती हैं. कोई कहता की सभी राजकुमारियाँ किसी राजकुमार से मिलने जाती हैं तो कोई कहता की राजकुमारियाँ नृत्य करने जाती हैं.

राजा ने बहुत प्रयास किया की वह इस राज को जानले। लेकिन उसे हर बार निराशा ही हाथ लगी. वह दुखी रहने लगा फिर उसने एक दिन पुरे राज्य में यह एलान करा दिया की जो भी इस राज से पर्दा हटाएगा उसको वह जिस रानी से कहेगा उससे विवाह और आधा राजपाट दे दिया जायेगा। और जो दो दिन के भीतर नहीं बता पायेगा उसे सजा दी जाएगी।'

पुरे राज्य में साथ ही अगल-बगल के दूसरे राज्य में भी हर जगह इस बात का एलान कर दिया गया. कुछ दिन बिताने के बाद एक राजकुमार आया और उसने इस राज से पर्दा हटाने का वादा किया राजा ने उसे अनुमति दे दी.

राजकुमार को रात में खाना खिलाया गया फिर राजकुमारियों के कमरे के नजदीक वाले कमरे में छोड़ दिया गया ताकि वह रात में राजकुमारियों पर नजर रख सके. कुछ ही समय में उसके कमरे में सबसे छोटी राजकुमारी आई जो बहुत ही सुन्दर ही थी तथा उसके हाथ में शरबत से भरा गिलास था.


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नशीली शरबत 

सबसे छोटी राजकुमारी ने उस राजकुमार को वह गिलास दिया और शरबत पिने का निवेदन किया। राजकुमार उसका सौंदर्य देखकर मोहित हो गया वह मन ही मन सोचने लगा की राज को पता करने के बाद मैं इसी राजकुमारी से विवाह करूँगा  और शरबत पिने लगा.

शरबत में नशा मिला हुआ था जिस वजह से शरबत पिते ही वह राजकुमार गहरी नींद में सो गया. राजकुमारी को जब विस्वास हो गया तो वह उसके कमरे से चली गई. सुबह हो गया राजकुमार को कुछ पता नहीं चला. फिर रात को भोजन के बाद उसे फिर उसी कमरे में छोड़ दिया गया.

राजकुमार पहले से ही राजकुमारी के रूप पर मोहित था वह राजकुमारी के आने का बेसब्री से इंतजार करने लगा फिर तभी वही राजकुमारी शरबत का गिलास लेकर आई और उसे पिने के लिए दिया और उससे मीठी-मीठी बाते करने लगी.

रूप को टुकुर-टुकुर निहारता राजकुमार फिर से बातो-बातों में ही शरबत पी गया. और शरबत पीते ही पहले जैसा उसे गहरी नींद आने लगी और वो खर्राटे मार कर सोने लगा. राजकुमार को सोता देख राजकुमारी अपने कमरे में चली आई.

फिर से सुबह हो गई राजकुमार को कुछ पता नहीं चल पाया। दो दिन भी बीत चुके थे राजा ने राजकुमार को राज नहीं बता पाने के कारन उसे सजा दी और जेल में डाल दिया। ऐसे ही कई राजकुमार आये लेकिन राज का पता नहीं लगा पाए. राजा ने किसी को माफ़ नहीं किया सबको कारावास में डाल दिया।

कई महीने बीत गए राज का पर्दा नहीं उठ पाया। उस राज्य के एक जंगल के मध्य में एक शिवालय स्थित था उस शिवालय में एक बहुत ही वृद्ध और सिद्ध साधू और उनका एक नौजवान शिष्य रहता था. वह शिष्य अपना जीवन शिवालय और गुरु की सेवा में ही समर्पित कर दिया था.

एक दिन उसके गुरु ने उससे कहा-' बेटा तुमने मेरी बहुत सेवा की मैं तुम्हारे सेवा से अत्यंत संतुष्ट और प्रसन्न हूँ. मेरा अब शरीर त्यागने का समय आ गया हैं. यह शरीर मेरे लिए बोझ हो गया हैं. मैं चाहता हूँ की तुम राजमहल जाओ और राजकुमारियों के राज से पर्दा हटाओ। बस एक चीज का स्मरण रखना शरबत कभी मत पीना।'

साधु बाबा का मन्त्र 

और फिर साधू बाबा ने उस शिष्य को एक मन्त्र सिखाया जिस वजह से वह कभी भी गायब हो सकता था. और कहा की -'जब राजकुमारी तुम्हारे कक्ष से जाने लगे तो इस मन्त्र के सहायता से तुम अदृश्य हो जाना और उस राजकुमारी के पीछे-पीछे चले जाना सभी राज से पर्दा उठ जाएगा और फिर तुम किसी एक राजकुमारी से विवाह कर के गृहस्थ जीवन में प्रवेश करना और राजकुमार बनकर इस शिवालय की सेवा भविष्य में भी सुनिश्चित करना' यह कहकर साधु बाबा ने अपना शरीर छोड़ दिया।

अपने गुरुदेव का परम्परा अनुसार अंतिम क्रिया करके वह राजमहल की तरफ बढ़ गया. राजभवन पहुँच कर उसने राजा के समक्ष इस राज से पर्दा हटाने की बात कही.

राजा ने स्वीकार कर लिया रात को भोजन के बाद उसे राजकुमारियों के नजदीक वाले कमरे में छोड़ दिया गया. कुछ देर बाद सबसे बड़ी राजकुमारी जो सभी राजकुमारियों में सबसे खूबसूरत थी उसकी सुंदरता के चर्चे दूसरे राज्यों में भी होते थे.

लेकिन वह शिष्य पहले से सतर्क था जब राजकुमारी शरबत लेकर आई और चिकनी चुपड़ी बाते करने लगी और शरबत अपने हाथ से उस शिष्य को पिलाने लगी. वह शिष्य होशियार था उसने भी बहाने से गिलास ले लिया और थोड़ा सा शरबत मुँह में रोककर गहरी नींद में सोने का नाटक करने लगा।

Pariyon Ki Kahani
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जब राजकुमारी को विस्वास हों गया की वो सो गया तो वह अपने कमरे में जाने लगी. जैसे ही वो कमरे से बाहर गई शिष्य ने आँख खोली और शरबत थूका और मन्त्र की सहायता से अदृश्य होकर राजकुमारी के पीछे दौड़ पड़ा.

Pariyon Ki Kahani रहस्यमई तहखाना

वह राजकुमारियों के कमरे में चला गया राजकुमारियों ने दरवाजा बंद कर दिया सभी खिड़कियाँ भी बंद कर दी सभी परदे लगा दिए लेकिन शिष्य तो अद्रिश्य था और उसी कमरे में था. फिर राजकुमारियों ने अपना बड़ा सा बेड हटाया तो उसके निचे तहखाने में जाने के लिए एक सुरंग बानी हुई थी.

राजकुमारियों ने सुरंग में भीतर जाने के लिए बनी सीढ़ियों से निचे उतरने लगी. वह शिष्य भी उनके पीछे-पीछे जाने लगा. कुछ दूर जाते-जाते उन्हें एक नदी मिली जिसके किनारे कई नाँव बंधी थी सभी राजकुमारिया नाव में बैठकर जाने लगी शिष्य भी एक नाव पर बैठकर उनके पीछे जाने लगा.

तभी उस शिष्य को एक गगनचुम्बी अद्भुत सुन्दर महल दिखा महल के पास जाते ही सभी राजकुमारियाँ नाव को किनारे लगा महल में जाने लगी शिष्य भी उनके पीछे ही था.

महल के अंदर घुसते ही शिष्य बहुत आश्चर्यचकित हो गया उस महल के अंदर परियों का दुनिया बसता हैं. कईं रंग-बिरंगे परियाँ और उनके बच्चे हवा में उड़ रहे थे खेल रहे थे. हवा में उड़ने वाले घोड़े भी थे सभी तरफ आतिशबाजी हो रही थी वातावरण में सभी तरफ  मधुर सुगंध व्याप्त था.

शिष्य को ऐसा लगा की वह जीवित अवस्था में ही स्वर्ग में आ गया हैं. हर तरफ मीठे और स्वादिष्ट मिठाइयाँ थी जिन्हे कोई भी कितना भी खा सकता था. तभी शिष्य ने देखा की एक परी उड़ती हुई उन राजकुमारियों के पास आई और फिर वो एक एक उड़ने वाले घोड़े पर बैठकर उड़कर कही जाने लगे.

शिष्य ने राज खोल दिया 

अदृश्य शिष्य भी एक घोड़े की पूछ पकड़ कर लटक गया और उनके साथ उड़ते-उडते एक बगीचा में जा पहुँचा जहाँ अनेक प्रकार के रंग-बिरंगे फूल खिले हुवे थे। एक से एक रंगीन तितलियाँ और गिलहरियाँ इधर से उधर कूद-फान कर रही थी.

सभी राजकुमारियाँ बगीचे के स्वादिष्ट फल खाने में और परियो के साथ नृत्य करने में व्यस्त हो गए. शिष्य को सभी राज का पता चल चूका था. वह राजकुमारियों के साथ सूरज उगने से पहले ही महल आ गया.

सुबह होते ही वह राजा के पास पहुँचा और सभी राज बता दिए. अपनी बेटियों के साथ परी की मित्रता की सच्ची कहानी सुनकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ और उसने उस शिष्य को आधा राज दिया तथा अपनी सबसे बड़ी बेटी जो सबसे खूबसुरत थी उसके साथ विवाह कर दिया।

अब वह शिष्य राजा बन गया था. राजा बनने के बाद उसने अपने गुरु की आज्ञा मानी और अनेक शिवालयों तथा धर्मशालाओ का निर्माण किया तथा ख़ुशी-खुश राज करने लगा। 



प्राचीन समय की बात हैं पाताल लोक में कही नाग कन्याओं और परियों का एक समूह एक साथ खूब प्रेम के साथ रहता था। नाग कन्याएँ और परियाँ बहुत ही शक्तिशाली और सुंदरता की तो बात ही मत कीजिए। सभी एक-से-बढ़कर एक थी। अत्यंत सुंदरता उनके जादू और शक्ति की देन हैं। 

इन दोनों ने मिलकर एक बहुत सुखी दुनिया बनाया लिया था जहाँ नागकन्याएँ और परियाँ सुखपूर्ववक जीवन-यापन कर रहे थे। नाग कन्याएँ अपने दुनिया की सुरक्षा का काम कर रही थी तो वही पारियाँ दुनिया के अंदर के सारे सुख-सुविधा का ध्यान रखती थी। 

लेकिन एक दिन गजब हो गया एक राक्षस अपने तंत्र की शक्ति के दम पर पाताल लोक के भ्रमण करते करते वही पहुँच गया जहाँ परियों की दुनिया नागकन्याओं के साथ रहती थी। 

सुरक्षा में लगी 

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