क्या आप जानते हैं दिपावली से जुडी अनेक कहानियों और रहस्यों को ?

भारत में हजारो सालो से दीपावली बड़े ही धूम-धाम से मनाई जाती हैं। भारत में दीपावली त्यौहार की बहुत ही अहमियत मानी जाती हैं तथा दीपावली के उत्सव को पुरे विश्व में धूम-धाम से वहाँ रह रहे हिन्दू, सिख, जैन लोगो द्वारा मनाया जाता हैं। 

दीपावली का शाब्दिक अर्थ 'दीप' और 'आवली' या 'पंक्ति' या ' लाइन' अर्थात दीपो की पंक्तियाँ हैं। दीपावली को दीपमाला भी कहा जाता हैं। दीपावली की रात अमावस्या की रात होने के कारण बहुत ही घनघोर अँधेरी रात या काली रात होती हैं। 

जिस वजह से नकारात्मक ऊर्जा और तामसिक शक्तियाँ बहुत ही प्रबल होती हैं जो की मनुष्य के जीवन में अनेक प्रकार के समस्या को जन्म देने वाली हैं। 

इसीलिए दीपो की पंक्तियाँ या दिपमाला द्वारा अँधेरा को दूर कर प्रकाश को चारो दिशाओ में फैलाया जाता हैं जिससे की नकारात्मक ऊर्जा और तामसिक शक्तियों के प्रभाव से बचा जा सके। दीपावली को दीपोत्सव के नाम से भी मनाया जाता हैं। दीप का अर्थ चमकना, जलना, ज्योतिर्मय होना, प्रकशित होना होता हैं।

Happy Diwali 2019
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आइये जानते हैं दीपावली के इस उत्सव को मनाने के पीछे क्या दार्शनिक महत्व, पौराणिक कथा और इतिहास हैं ?

यह पर्व श्री विष्णु का गृहस्थ पर्व हैं। इस पर्व पर गणेश जी और लक्ष्मी जी दोनों की पूजा होती हैं। यदि गणेश जी की पूजा नहीं की तो लक्ष्मी जी नहीं आएँगी इसीलिए दोनों को पूजना आवश्यक हैं। लक्ष्मी और गणेश जी का सम्बन्ध माता और पुत्र का हैं।

चुकी माता लक्ष्मी हमेशा अपने पुत्र के मोह में रहती हैं इसीलिए दोनों की पूजा साथ होती हैं। इस महोत्सव की शुरुआत या पर्वकाल धनतेरस से शुरू हो जाती है। कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाने वाला यह पर्व दीपावली घनघोर अन्धकार से व्याप्त रहती हैं जिस वजह से विघ्न-बाधा का आना संभव हैं।

ये विघ्न-बाधा अधिदैहिक, आधिदैविक, अधिभौतिक आदि प्रकार के हो सकते हैं। इन विघ्नो से बचने के लिए विध्ननाशक स्वरुप श्री गणेश जी की आवश्यकता पड़ती हैं साथ ही दीप की वजह से पंचतत्व भूमि, जल, आकाश, अग्नि, वायु भी संतुलित हो जाते हैं और सभी प्रकार के वास्तुदोष भी दूर होते हैं।

तेल से भरे दीपो के प्रकाश से तेल और बत्ती के जलने के गंध से वातावरण में व्याप्त विषैले कीटाणु नष्ट होते हैं और पर्यावरण शुद्ध, पवित्र और प्रदुषण मुक्त हो जाता हैं तथा चमक-दमक से मन को प्रसन्नता मिलती हैं।

दीपावली के दिन यहाँ होती हैं माँ काली की पूजा 

दीपावली मनाने के पीछे कई पौराणिक कहानियाँ भी दीपोत्सव के इस महान पर्व से जुडी हुई हैं आइये इन कहानियो पर प्रकाश डालते हैं। भारत के अधिकत्तर राज्यों में  दीपावली के अवसर पर माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा होती हैं लेकिन भारत के कुछ राज्य जैसे पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, और असम में माँ काली का भी पूजा पुरे धूम-धाम से होता हैं। दीपावली के अवसर पर माँ काली की पूजा के पीछे एक पौराणिक कहानी हैं।

माँ काली जब अपने रौद्र रूप में सभी दैत्यों राक्षसों का भीषण रक्तपात करने के बाद भी उनका क्रोध शांत नहीं हुआ तब भगवान शंकर माँ काली के सामने लेट गए और जैसे ही माँ काली का पैर भोले नाथ के शरीर को स्पर्श किया वैसे ही माँ काली का क्रोध शांत हुआ और उन्होंने रक्तपात करना बंद किया। माँ काली के शांत रूप लक्ष्मी का पूजन इस दिन होता हैं पश्चिम बंगाल हमेशा से दुर्गा और उनके नौ रूपों का पूजक रहा हैं। दीपावली के दिन माँ काली का क्रोध शांत हुआ था इस ख़ुशी में दीप जलाने से हमारे भी दुःख कष्ट दूर होते हैं।


माँ काली के पूजा का महत्व

माता दुर्गा ने दुष्टो, पापियों, राक्षसों का वध करने के लिए काली का रूप धारण किया था। माँ काली की पूजा करने से शत्रुओ पर विजय और किसी भी प्रकार का भय दूर होता हैं। माँ काली अपने भक्तो को सुख, सौभाय तथा शक्ति प्रदान करती हैं। माँ काली का जप तप विधि विधान से करने पर माँ काली कई प्रकार की सिद्धियाँ भी देती हैं जिससे कोई भी कार्य असंभव नहीं होता हैं। तंत्र साधक दीपावली रात के दिन माँ काली का विधि विधान से पूजा पाठ करते हैं और अनेक प्रकार की शक्तिओ का वरदान प्राप्त करते हैं।  

Happy Diwali 2019
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दीपावली के  दिन मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम का अयोध्या आगमन 

दीपावली का दिन बहुत ही शुभ हैं इस दिन इतिहास में अनेक ख़ुशी के कार्य हुवे हैं उन्ही कार्यो में से एक कार्य भगवान श्री राम का अयोध्या वापस आने का हैं।  भगवान श्री राम ने कई दिनों तक चले भयंकर युद्ध में दशहरा के दिन लंकाधिपति रावण का वध किया। लंका के राजपद पर रावण के भाई विभीषण को बैठाया फिर उसके 20 दिन बाद दीपावली के दिन ही अयोध्या में सीता लक्ष्मण हनुमान आदि के साथ कदम रखा था। इस ख़ुशी के मौके पर पुरे आर्यव्रत में लोगो ने दीपो की अनगिनत पंक्तियाँ जलाई पूरा आर्यव्रत जगमगा उठा था। 

मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम को वापस अयोध्या में देख हर तरफ ख़ुशी का माहौल हो गया था। पूरा अयोध्या साथ ही पुरे आर्यव्रत में उत्सव मनाया गया था। घर की महिलाएँ अपने दरवाजे पर सुन्दर सुन्दर रंगोली बनाती हैं उनको दीपो से सजती हैं। पुरे घर की साफ़ सफाई होती हैं। घर के अंदर बाहर हर जगह स्वक्षता दीखता हैं इस दिन गणेश और माँ लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती हैं। 

समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी का भी आगमन हुआ था। पृथ्वी लोक पर आने के बाद उन्होंने भगवान विष्णु को आज के ही दिन अपने पति के रूप में स्वीकार किया था। या यूँ कहे की दीपावली के दिन ही माँ लक्ष्मी का विवाह भगवान विष्णु से हुआ था।

राजा विक्रमादित्य भारत के बहुत ही बड़े और धार्मिक सम्राट थे।वे एक आदर्श राजा थे जो सभी दुखियों का दुःख दूर करते थे उनका आज के ही दिन दिवाली के दिन उनका राजयभिषेक भी हुआ था।

दीपावली का पर्व मनाने के पीछे एक और बहुत बड़ी कहानी हैं। आज के हिदीन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था तथा उसके कैद से 16 हजार स्त्रियों को कैद मुक्त किया था।

महाकाव्य महाभारत के अनुसार इसी दिन पाण्डवों का 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास ख़त्म हुआ था तथा दीपावली के दिन ही पांडव पुत्रो ने अपनी माता कुंती के साथ हस्तिनापुर में वापस कदम रखा था।  

पुराणों में एक कथा यह भी हैं की वामन अवतार के समय बलि द्वारा सम्पूर्ण पृथ्वी के दान से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने राजा बलि को यह वरदान दिया था की कार्तिक कृष्ण त्रयोदसी से अमवस्या तक तीनो दिन पृथ्वी पर यमराज की प्रसन्नता के उद्देश्य से दीपदान करने वाले को यमराज की यातना नहीं भोगनी पड़ेगी तथा इन तीनो दिन दीपावली का दीपोत्सव मनाने वाले घर को भगवती लक्ष्मी कभी नहीं त्यागेंगी। 

निर्धनता दूर करने के लिए सभी को अपने घर के पूजा घर में धनतेरस से लेकर भैयादूज तक पांच दिन अखंड दीप प्रज्वलित करके रखना चाहिए। पांच दिन तक अखंड दीप जलने से पञ्च तत्व भी संतुलित हो जाता हैं और सभी प्रकार के वास्तुदोष पुरे वर्ष भर के लिए दूर हो जाते है। 

दीपावली के दिन गणेश जी की पूजा व्यापार के खाते बही में वृद्धि की कामना के लिए भी  की जाती हैं। गणेश जी वेदव्यास जी के 18 पुराणों के लेखक हैं। व्यापर के बही खाते और लेखा-जोखा की विधि ही आत्मा हैं जो लेखनी द्वारा ही संभव हैं। पुराणों में एक कथा हैं सिद्धि से शुभ और बुद्धि से लाभ नामक दो पुत्र हैं। ये दोनों व्यापार में स्थायित्व लाते हैं इसीलिए व्यापार का श्रीगणेश गणेश पूजन से ही आरम्भ होता हैं।

दीपावली के दिन भगवान गणेश, माँ लक्ष्मी, भगवान् कुबेर, यमराज की पूजा का भी विधान हैं। दीपावली के उत्सव पर दीप के साथ साथ भारत में लोग खूब पटाखे भी बजाते हैं।  नई नई मिठाईया बनती हैं। सबकोई ख़ुशी प्रेम से इस दिन की शुभकामनाये  एक दूसरे को देते हैं और बहुत ही हर्षोउल्लास से दीपावली का यह त्यौहार प्रेम, शांति, सुख की भावना के साथ मानते हैं।

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