"Bambai Me Ka Ba" bhojpuri Rap Lyrics बम्बई में का बा सांग।

"Bambai Me Ka Ba" bhojpuri Rap lyrics मनोज वाजपेयी जी द्वारा गाया गया इस गाने को बिहार और उत्तर प्रदेश का राजकीय गीत या गान घोषित कर देना चाहिए। 

भोजपुरी भाषी मजदूरों के दर्द को बताने वाला यह Bambai Me Ka Ba bhojpuri Rap lyrics सुपरस्टार मनोज बायपेयी जी के आवाज में और उन्ही की परफॉरमेंस में रिकॉर्ड की गयी है।  

सोशल मीडिया पर Dislike के इस समय में जहाँ बॉलीवुड के प्रति लोगो के हृदय में नफरत हैं उस समय  गाना बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध हुआ और लाइक भी दबा के मिला। कुछ ही घंटो में Bambai me ka ba कई मिलियंस लोगो द्वारा पसंद किया। 

तो चलिए आपका बिना समय नष्ट किये Bambai me ka ba" bhojpuri Rap lyrics शुरू करते हैं Bambai me ka ba" bhojpuri Rap सुनने और देखने के लिए यहाँ क्लिक करे। 




"Bambai Me Ka Ba" Bhojpuri Rap Lyrics

"Bambai A nickname for the beautiful city of Mumbai is nothing but a metaphor for all metropolitan cities in the country. 
बम्बई में का बा ?
इहवाँ का बा 
ना त बम्बई में का बा 

इहवाँ का बा....

दू बिगहा में घर बा लेकिन 
सुतल बानी टेम्पू में 
जिनगी ई अझुराईल बाटे 
नून तेल आ शैम्पू में 

मनवा हरियर लागे भइया!!
हाथ लगौते माटी में 
जियरा आजुओ अटकल बाटे 
घर में चोखा बाटी में...

का बा... इहवाँ 

ज़िंगगी हम त जियल चाहीं 
खेत बगइचा बारी में, 
छोड़-छाड़ सब आईल बानी 
हम इहवाँ लाचारी में 

कहाँ? ना त बम्बई में का बा....
इहवाँ...... का बा......
ना त बम्बई में का बा....

बन के हम सिक्योरिटी वाला 
डबल डियूटियाँ खटअ तानी
ढिबरी के  बाती के जइसन  
रोज-रोज हम घटअ तानी 

केकरा एतना सौख बाटे 
मच्छर से कटवावे के 
के चाहेला ए तरे 
अपना के एतना नरभसावे के 

का बा... इहवाँ.... का बा.....

गावँ शहर के बीचवा में हम 
गजबे कन्फुजियाइल बानी 
दू जून की रोटी खातिर 
बॉम्बे में हम आइल बानी 

ना त बम्बई में का बा....
इहवाँ का बा....
ना त बम्बई में का बा....

हेलो.......हेलो....... ऐ सुनाता !
ऐ कहाँ बाड़ू 
ना.... होली....होली में आव तानी 

ठीक बा....

घीयु दूध आ माठा मिसरी 
मिलेला हमरा गावँ में 
लेकिन इहवाँ काम चलत बा 
खाली भजिया पावे में 

खईब का..... बये खालअ !!

काम-काज ना गांव में बाटे

मिलत नहीं नौकरियाँ हो 
देखा कैसे हांकत बाड़े 
जइसे भेड़ बकरिया हो 

ना त बम्बई में का बा...
इहवाँ....  का बा...
ना त बम्बई में का बा...

धत्त साला.....हटाव....

काम धाम रोजगार मिलित त 
गउएँ स्वर्ग बनईती जान 
जिला जेवारी छोड़ के इहवाँ 
ठोकर काहे खईतीन जान

ना त बम्बई में का बा 
इहवाँ...... का बा.....
ना त बम्बई में का बा ठा ...

कइसे केहू दुखवा बाटे 
हम केतना मजबूर हई 
लड़िका-फरिका मेहरारू से 
एक बरिस से दूर रही 

के छोड़ लेबा ऐतरे अब 
हमहन के लचारी में 
अपना खुदके गुजिया के हम 
भर न सकी अकवारी में 

ये बबी!!! आव ना... गोदिया में आव ना
अरे इहाँ सुत ना रे !
गोदिया में सुत जो 

ह... हा....हाँ...हाँ...

बुढ़ पुरनिया माई बाबु 
ताल-तलइया छूट गईल 
केकरा से दिखलाई मनवा 
भितरे-भितरे टूट गईल 

बम्बई में का बा 
इहवाँ......का बा.....
ना त बम्बई में का बा...

हसुआ अउरी खॉंची फरुआ 
बड़की चोख कुदार उहाँ 
लमहर चाकर घर दू तालिया 
हमरो ये सरकार उहाँ 

हमरे हाथ बनावल बिल्डिंग 
आसमान के छुअत बे 
हम त झोपड़पट्टी वाला 
हमरे खोली चुअत बे...

का बा.... इहवाँ.......

आके देखअ शहरिया बबुआ 
का भेड़इया-धसान लगे 
मुर्गी के दरबा में जइसे 
फँसल सबके जान लगे 

बम्बई का बा... 
का बा.... इहवाँ.......
बम्बई का बा... 

एतना मुअला जियला पर भी 
फुटल कौड़ी मिलत ना 
लौना लकड़ी खर्ची बर्ची 
घर के कमवा जुरत ना 

महानगर के तौर-तरीका 
समझ में हमरा आवे ना 
घड़ी घड़ी पर डाटें लोगवा 
ढंग से कहूं बतावे ना 

ना त बम्बई में का बा 
इहवाँ, का बा...
बम्बई में का बा...

अरे! बम्बई में त... आये... बम्बई ना....
त का बोले, मुम्बई? मुम्बई है! ये हम त बम्बई आया हैं !!
हमनी का साला ! मुम्बई होखे!!! बम्बई होखे!! दिल्ली होखे!! चेनई होखे !!
हमनी के त जान वोहितरे सॉंसे में फँसल बा  बाबू!!! 

जबरा के हथवा में भइया 
नियम और कानून उहाँ 
छोट-छोट बतियन पे उ 
कई देलसन खून उहाँ 

साला ऐ गरिइये  मत !! 
मारिये देम, पिछवाड़ा में गोली मार देम साले के....
हट.....हटाव.....

ऐ समाज में देखअ केतना उच्च नीच के भेद हवे 
उनका खातिर संविधान में  ना कौनो अनुच्छेद हवे

इहवाँ, का बा......
इहवाँ, का बा......
ना त बम्बई में का बा..

बेटा-बेटी लेके गावे जिंदगी जियल मोहाल हवे 
ना निमन स्कूल कहीं बा, ना निमन अस्पताल हवे 

ना त बम्बई में का बा.........
इहवाँ, का बा......
ना त बम्बई में का बा.....

जुलम होत बा हमनी संगवा केतना अब बर्दास्त करि
देस के बड़का हाकिम लोग पर अब कैसे विस्वास करीं 

हम त भुइयाँ लेकिन तोहर बहुत उच्च सिंघासन बा 
सब जाने ला केकरा चलते ना घरवा में रासन बा 

इहवाँ....... का बा....  


ये साहिब लोग!!!!!
ये! ये!! हाकिम लोग!!!!!

हमरो कुछ सुनवाई बा 
गाँव में रोगिया मरत बाड़े 
मिलत नहीं दवाई बा 

बम्बई में का बा....
इहवाँ.......का बा.....
ना त बम्बई में का बा...
इहवाँ का बा...

चले के! हे.... हे...
चलअ बाबू!! बड़ा लम्बा रास्ता बा 
जब ले जान रही गोड़ चलत रही बाबू 
चला....कन्धा पे ले एकरा के 
चल ना... बानी नु हम

अरे कुछु ना पंदरह सौ किलोमीटर कहता लोग 
अरे चल जाई आदमी 
आँ.... चल जाई....चल जाई....

अरे बस !भोलेनाथ !!!  के नाम ल 
चल बम... बोल बम.....बोल बम.....

इस गाने के बोल ने पलायन का कला चिट्ठा खोल दिया हैं। जीवन बहुत अनमोल हैं जब तक जीते हैं घरवालों से दूर बहुत दूर रहते हैं और जब हम मरते हैं तब घर वालों के साथ दो पल और बिताने को तरसते हैं। गांव में बहुत ही बड़ा घर हैं लेकिन बाहर में टेम्पू में सोते हैं और मच्छर से कटवाते हैं और अपनी प्यारी बेटी को गले लगाने के लिए तरस जाते हैं। 

बुढ्ढे माँ बाप जीते जी न चाहते हुवे भी छूट जाते हैं। क्या हैं !! यहाँ मुंबई में क्या हैं !! आप यदि आप किसी भी दृष्टिकोण से देखें तो माँ-पिताजी, बच्चें, पत्नी भाई आदि ही जीवन हैं. इसको पलायन नहीं; गरीबों, मजदूरों, युवाओं के जीवन छुड़वाने वाला कार्यक्रम कहिये। 

सबसे ज्यादा गरीब, मजदुर भोजपुरी भाषी ही क्यों हैं? सबसे ज्यादा पलायन बिहार से ही क्यों होता हैं ? आखिर क्यों हम इतने पीछे छूट गए एक समय था जब भारत सोने की चिड़िया और विश्वगुरु कहलाता था। वह स्वर्णिम युग हम बिहारीयों ने लाया था जिसका केंद्र हम या पाटलिपुत्र था। 

आज रोजगार तो छोड़िये गुरु रोटी कपड़ा मकान बिजली सड़क कई इलाको में तो मोबाइल टावर तक की सुविधा उपलब्ध नहीं हैं हम पीछे जा रहे हैं और पूरी दुनिया आगे जा रही हैं। इसी पिछड़ेपन के कारण हमारा एक बेटा बॉलीवुड जाता हैं अपना टैलेंट दिखाता हैं सफल होता हैं मार दिया जाता हैं। 

एक कोई लेबर हैं, कोई सफाई वाला हैं कोई ऑटो वाला हैं कोई सिक्योरिटी वाला हैं कोई बर्तन धोने वाला हैं। इनका तो मानसिक और आर्थिक शोषण हो रहा हैं।  सुशांत सिंह की तो एक बार हत्या हुई। ये मजदुर तो प्रतिदिन मरते हैं। 

मेरे विचार से "Bambai Me Ka Ba" bhojpuri Rap Lyrics सुशांत सिंह राजपूत की हत्या से उत्पन्न हुई दुःख का ही परिणाम हैं। बोलने ज्यादा करने की जरुरत हैं। यदि सुशांत सिंह का बदला लेना है तो सारे बिहार और आसपास  के गरीब वापस अपने राज्य में आये जाए और एक जुट होकर अपने अधिकार की लड़ाई लड़े तो निसंदेह हम अपने बिहार को पुनः स्वर्ग बना सकते हैं। 

 बिहार और उप्र का पलायन रिस्टोर हो जाए तो बम्बई मुंबई दिल्ली देल्ही चेन्नई फ़ेन्नई सबकेहूँ फेन फेक दी लोग। उसके बाद हत्या तो छोड़िये किसी बाहरी का अपमान करने का भी हिम्मत नहीं होगा।


 

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