Guru Nanak Dev Ji : जिवन परिचय
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Guru Nanak Dev Ji द्वारा सिख समुदाय की स्थापना की गई थी। सिख समुदाय या सिख धर्म, सनातन धर्म का एक अभिन्न अंग हैं। हिन्दू और सिख दोनों का मूल एक ही हैं। दोनों एक ही वटवृक्ष के दो टहनियाँ हैं। सिख समुदाय अपने गौरवशाली इतिहास अपने स्वाभिमान तथा मानव सेवा के लिए समस्त दुनिया में विख्यात हैं। सिख समुदाय का संस्कृति और संस्कार मानवता के प्रति प्रेम को बचाए रखने के लिए अत्यंत जरुरी हैं।
सिख समुदाय पुरे विश्व में भूखो का पेट भरने वाला सबसे बड़ा समुदाय हैं। इस समुदाय द्वारा देश विदेश में हजारो जगह लंगर चला कर प्यासो का प्यास तथा भूखो के भूख को बिलकुल मुफ्त में तृप्त किया जाता हैं। सिख समुदाय के आस्था का केंद्र स्वर्ण मंदिर अमृतसर में प्रतिदिन लाखो लोगो को बिना मजहब, पंथ, जात देखे बिना सुबह शाम मुफ्त में भोजन कराया जाता हैं।Guru Nanak Dev Ji
आइये आज हम सिख समुदाय जैसे महान धर्मभक्त समुदाय के संस्थापक महात्मा गुरु नानक देव जी के जीवनी के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं। हिन्दू परिवार में जन्म लेने वाले नानकदेव के लिए मानव प्रेम और मानव सेवा ही जीवन का लक्ष्य था।
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धार्मिक कट्टरता के वातावरण में गुरुनानक देव ने लोगो को आपसी प्रेम और शांति का सन्देश देने के लिए एक सन्यासी की तरह अपने चार साथियों के साथ अपने घर को छोड़ दिया थे तथा भारत अफगानिस्तान अरब फारस आदि कई जगह यात्रा करके लोगो को प्रेम और शांति का पथ पढ़ाया।
वे बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। बचपन से ही सामान्य बालको की अपेक्षा उनकी बुद्धि बहुत ज्यादा प्रखर थी। बालक नानक की बुद्धि देखकर शिक्षक हैरान रह जाते थे थोड़े ही समय में नानक ने हिंदी, संस्कृत, फ़ारसी और तुर्की भाषा को सिख लिया। बचपन से नानक की आसक्ति दुनियादारी में नहीं थी शिक्षा ग्रहण करते समय भगवान को प्राप्त करने के कई प्रश्न अपने शिक्षकों से पूछते रहते थे उनके शिक्षक उनके विचित्र और रहस्य्मयी प्रश्नो से हार ही मान लेते थे और उन्हें ससम्मान घर पहुँचा दिया गया और नानक का 8 साल की उम्र में स्कूली पढाई भी छूट गई।
वे पैसा लेकर बाजार की ओर चल पड़े तभी रास्ते में उन्होंने भूखे साधु संतो को देखा उन्होंने उन पैसो से तुरंत बाजार से भोजन सामग्री लाकर उनको खिलाया और उनकी भूख शांत की उसके बाद नानक जी ख़ुशी ख़ुशी घर चले आये। घर आने पर पिताजी कल्याण राय ने पूछा की व्यापार में कितना मुनाफा कमाया तो इसके उत्तर में Guru Nanak Dev Ji ने कहा की मैंने उस धन से बाजार से भोजन खरीदकर भूखे लोगो को खिला दिया जो की घर त्याग कर सन्यासी बन गए थे वे कर्म-योगी बन कर अपने घर वापस गए हैं इससे खरा सौदा और क्या होगा ?
मैंने तो सच्चा सौदा किया हैं। गुरु नानक देव कहते थे भूखो का पेट भरना ही जीवन का मुख्य उद्देश्य है और शायद यही शिक्षा का देन हैं की उनके जन्म के 550 साल बाद भी सिख समुदाय पूरी ईमानदारी से और निःस्वार्थ भाव से लोगो का पेट भरने का कार्य कर रहे हैं।
Guru Nanak Dev Ji : सिखधर्म का प्रतिक चिन्ह |
नानक जी की बहन नानकी उनको बहुत प्रेम करती थी और फिर उनके बहन नानकी ने नानक जी को सुल्तानपुर लोधी रहने के लिए अपने पास लेकर आ गई । Guru Nanak Dev Ji के बहनोई जयराम जी दौलत खाँ लोधी के दरबार में दीवान थे। अतः उन्होंने नानक को नवाब दौलत खाँ के मोदीखाने में मोदी के रूप में रखवा दिया। तथा गुरुनानक देव को समान बेचने का जिम्मेदारी मिला।
गुरु नानक देव जी खुले हाथ से अन्न भंडार से अन्न सुपात्र को दान देने लगे। लोधी तक शिकायत पहुंची की नानक नवाब का खजान मुफ्त में लुटा रहा हैं फिर नवाब ने अन्न भण्डार का पाई पाई हिसाब जोड़ा तो उसे पाई पाई सही मिली नानक पर लगा आरोप झूठा साबित हो गया और नवाब भी Guru Nanak Dev Ji के कार्यप्रणाली और ईमानदारी को देख कर बहुत प्रभावित हुआ।
मक्का मदीना के यात्रा के दौरान जब वे बेफिक्र होकर लेटे थे तो उनका पैर काबा की तरफ था तो एक व्यक्ति ने उनको टोकते हुवे बोला की- ‘तुम अपना पैर पवित्र काबा की तरफ करके क्यों लेटे हो?’ उत्तर देते हुवे गुरुदेव जी ने कहा की- ‘तुम मेरा पैर उस दिशा में कर दो जिस दिशा में तुम्हारा काबा न हो।’
वह व्यक्ति जिधर पैर घुमाता उधर ही उसे काबा नजर आता वह समझ गया की Guru Nanak Dev Ji साधारण मनुष्य नहीं हैं और फिर गुरुनानक देव से माफ़ी माँग कर वहा से चला गया।
फैसले में वर्णित हैं की राजेंद्र सिंह की सिख धर्म के साहित्य और संस्कृत में रूचि थी। गवाही के दौरान उन्होंने सिखधर्म के किताबो का उल्लेख किया साथ ही यह दावा किया की guru nanak dev ji राम जन्मभूमि के दर्शन के लिए 1510 और 1511 के बिच अयोध्या आए थे। जिस समय गुरुनानक देव अयोध्या में थे उस समय तक कोई बाबरी मस्जिद नहीं बनी थी बाबरी मस्जिद का निर्माण 1528 से 1530 के बिच हुआ था।
भारत की जनसँख्या के हिसाब से सिख समुदाय की जनसँख्या नगण्य हैं फिर भी भारतीय सेना में सबसे ज्यादा यदि किसी समुदाय के सैनिको की संख्या हैं तो वह सिख समुदाय हैं। सिख समुदय के युवा आर्मी ज्वाइन करने के मामले में या अपने देश और संस्कृति की रक्षा करने के मामले में पहले पायदान पर खड़े रहते हैं। यह सब गुरु नानकदेव जैसे महान ऋषि के शिक्षा से ही संभव हो सकता हैं। Guru Nanak Dev Ji
कई लोगो का मानना हैं की विदेशी आक्रमणकारियों से देश और धर्म की रक्षा के लिए गुरुनानक जी ने एक समूह को रक्षा के सभी नियमो में शिक्षित किया सीखा दिया अतः जिन्होंने अपने देश और संस्कृति की रक्षा के लिए नानकदेव जी से शिक्षा प्राप्त कर शिक्षित हुवे उनको सिख कहा गया।
इसी सिख समुदाय के गुरुओ और सिख समुदाय के युवाओ के बलिदान का परिणाम हैं की आप यह आर्टिकल हिंदी में पढ़ रहे हैं और मैं हिंदी में लिखने के लिए स्वतंत्र हूँ नहीं तो मै और आप मुस्लिम होते और उर्दू पढ़ रहे होते। जिस देश में सिख जैसा समुदाय नहीं था, वह देश अपनी संस्कृति, अपनी भाषा, अपना इतिहास भूल के आज के समय में हल्ला हुँआ अकबर कर रहे हैं उस देश का इस्लामीकरण हो चूका हैं।
Guru Nanak Dev Ji लेकिन इस्लामी आतंकवादिओं का भारत पर कई बार आक्रमण हुआ हजारो सालो तक सनातन धर्म गुलाम रहा फिर भी भारत का इस्लामीकरण नहीं हो पाया क्यों क्युकी यहाँ सिख मराठा क्षत्रिए ब्राह्मण वैश्य शूद्र जैसे अनेक शूरवीर योद्धाओ ने भारत और धर्म की रक्षा में बेझिझक प्राण लुटाए और दुश्मनो के गर्दन तलवारो से उड़ाए अच्छा हुआ मुग़लकाल में गाँधी नहीं था नहीं तो कसम से अभीतक गजवा हिन्द हो चूका रहता।
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