प्राचीन भारत में ऐसे विद्वानों की सुरक्षा की विशेष व्यवस्था थी। हमने अनेक पौराणिक कहानियो, रामायण, महाभारत आदि में सुना या पढ़ा होगा की ब्रह्महत्या सबसे बड़ा पाप हैं एक ब्राह्मण की मृत्यु होती हैं तो एक पुरे पुस्तकालय के बराबर ज्ञान का हानि होता हैं। अशोक द्वारा स्थापित अनेक चिन्हो पर स्वर्णिम अक्षरों पे ब्राह्मणो को विशेषाधिकार दिए गए थे।
लगभग पिछले हजार साल के गुलामी का परिणाम था की मॉडर्न समय में हम विश्व के तकनीक में अपनी उपस्थिति पुरे जोरदार तरीके से नहीं रख पाए। जब पुरे विश्व में भारत के धार्मिक ग्रंथो से गणित, रसायन, भौतिक, जिव विज्ञान, खगोल शास्त्र आदि का अध्यन कर इंग्लैंड और पूरी दुनिया के लोग वैज्ञानिक बन रहे थे उस समय भारत मुगलो और अंग्रेजो जैसे क्रूर आतताइयो से आज़ादी पाने के लिए कठोर संघर्ष कर रहा था।
सरकारी उपेक्षा के शिकार बने महान Mathematician Vashishtha Narayan Singh |
गुलामी के समय हमारे वैज्ञानिको के साथ पक्षपात हुआ उनको शोषित और प्रताड़ित किया गया या उन्हें उचित स्वतंत्रता या सहयोग नहीं मिला तो समझ में आता हैं। कहा जाता है की 1947 में भारत आज़ाद हुआ फिर आज़ाद भारत में हमारे महान वैज्ञानिको को तो सही सहयोग पर्याप्त सुविधा मिलना चाहिए था या पूरी दुनिया में भारत का नाम रौशन करने वाले, अल्बर्ट आइंस्टीन की रिलेटिविटी थ्योरी को चैलेंज करने वाले महान गणितज्ञ डॉक्टर वशिष्ठ नारायणजी को बीमार होने पर घटिया गंदे से हॉस्पिटल में एडमिट कराना चाहिए था या मृत्यु के बाद एक उनके शव को ले जाने के लिए एम्बुलेंस भी उपलब्ध नहीं होना चाहिए था ? हमारे महान क्रांतिकारियों और वैज्ञानिको के साथ सरकार के ऐसे घृणित व्यवहार को देख कर साफ़-साफ़ लगता हैं की भारत आज़ाद हैं यह सबसे बड़ा मजाक हैं।
लावारिसों की तरह एक महान वैज्ञानिक वशिष्ठ नारायण सिंह के शव को देख कर अपने आँखों से आशु को गिरने से मैं नहीं रोक पाया। कंप्यूटर से भी तेज जिस व्यक्ति का दिमाग चलता हो कई सालो तक वो अपने गृहनगर में बीमारी से जूझते रहे कोई सरकार ने सूझ नहीं ली जब स्थिति अत्यंत बुरी हो गई तो नाम के लिए एक गंदे भद्दे से अस्पताल में एडमिट करा दिया गया और मृत्यु हो जाने पर ठोकर खाने के लिए लावारिश छोड़ दिया।
बिहार में 2 अप्रैल 1942 को भोजपुर जिले के बसंतपुर नामक गाँव में जन्म लेने वाले महान गणितज्ञ को कई सालो से गंभीर बीमारी थी लेकिन सुध लेने वाला कोई नहीं था। लालू जी के सरकार ने उनके इलाज का इंतजाम बैंगलोर के बड़े हॉस्पिटल में किया था हालात में सुधार भी बहुत हो गया था
लेकिन नितीश की सरकार आने के बाद पिछले 15 सालो से सिर्फ वशिष्ट नारायण जी के साथ फोटो खिचाया गया उनके बीमारी के इलाज की कोई ठोस व्यवस्था नहीं हुई। वशिष्ठ नारायण भारत के एक नायाब अमूल्य हिरा थे।
वशिष्ठ नारायण जी ने नासा में भी कार्य किया था। महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह ने 74 साल की उम्र में पटना में अंतिम साँस लि। पिछले कई सालो से वो मानसिक बीमारी से जूझ रहे थे। गरीब परिवार से आने वाले वशिष्ठ नारायण का जीवन बहुत ही सघर्षो से भरा रहा लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
वशिष्ठ नारायण सिंह ने 1962 में मैट्रिक की परीक्षा पास की तथा बाद में बिहार आए अमेरिकी प्रोफ़ेसर कैली से मुलाकात हुई। प्रोफेसर कैली वशिष्ठ नारायण के प्रतिभा को देख कर प्रभावित रहे बिना नहीं रह सके। प्रोफेसर कैली ने वशिष्ठ जी को बरकली आकर शोध कार्य करने के लिए आमंत्रित किया।
फिर उसके बाद 1963 में वशिष्ठ नारायण कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय पढाई और शोध करने के लिए चले गए। 1969 में उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से पीएचडी की तथा वही वाशिंगटन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर का कार्य करने लगे।
उसके बाद नासा के लिए भी उन्होंने कार्य किया फिर 1971 में वह वापस भारत चले आए और भारत वापस आने के बाद उन्होंने आईआईटी कानपूर, आईआईटी मुंबई और आइएसआई कोलकत्ता में अपनी सेवाएं दी। वशिष्ठ नारायण जी की शादी 1973 में वंदना रानी सिंह जी के साथ हुआ। शादी के कुछ दिन बाद वो मानसिक बीमारी से ग्रस्त हो गए।
Mathematician Vashishtha Narayan Singh |
मौजूदा बिहार सरकार नितीश कुमार ने चवन्नी भर भी वेल्यू नहीं दिया अपने 15 साल के शासन में यदि नितीश कुमार चाहे रहते तो एक महान वैज्ञानिक हमारे साथ होता और चंद्रयान जैसे अभियान को सफल बनाता। साथ ही अपने शोध कार्यो से भारत देश को पुरे दुनिया में शक्तिशाली बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ता। आज अपने महान वैज्ञानिक के शव को लावारिस की तरह ठोकर खाते देख कर नितीश कुमार के प्रति मेरे ह्रदय में जो रोष था वो और मजबूत हो गया। बिहारी एक गाली बन गई हैं ऐसे ही घटिया नेताओ के घटिया राजनीति के चलते।
नितीश कुमार लगभग 15 सालो से ज्यादा समय से बिहार के मुख्यमंत्री है। बिहार में एक भी ऐसा शिक्षण संस्थान नहीं हैं जहाँ विदेशो का तो छोड़िए किसी दूसरे राज्य का विद्यार्थी पढ़ने आता हो। बिहार में भी एक भी ऐसा चिकित्सालय नहीं हैं जहाँ विदेश के लोगो को तो छोड़िए दूसरे राज्य के लोग इलाज कराने आते हो।
बिहार में एक भी ऐसा फैक्ट्री या कारोबार नहीं हैं जहाँ विदेशी तो छोड़िए दूसरे राज्य के मजदुर या लोग रोजगार प्राप्त करने आते हो। गौरवशाली इतिहास वाला बिहार में कई ऐतिहासिक स्थल हैं लेकिन घटिया प्रबंधन की वजह से एक भी ऐसा केंद्र नहीं हैं जहाँ विदेशी तो छोड़िए दूसरे राज्य के लोग घूमने आते हो। पुरे बिहार में एक भी ऐसा क्रिकेट स्टेडियम नहीं हैं जहाँ अंतरास्ट्रीय तो छोड़िए देशी आईपीएल के मैच भी होते हो।
आज़ाद भारत में यह पहला केस नहीं हैं जिसमे हमारे किसी महान वैज्ञानिक के साथ सौतेला व्यवहार किया गया। भारत में कई ऐसे वैज्ञानिक हैं जिनके साथ सरकार द्वारा पक्षपात किया गया उनको कोई सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई उनकी कोई सुध खबर नहीं ली गई। कितने ऐसे वैज्ञानिक हैं जिनकी मृत्यु बहुत ही रहस्यमयी तरीके से हुई किसी की लाश रेलवे ट्रैक पर मिली तो किसी की समुद्र किनारे कोई डॉक्टर नारायण सिंह जी की तरह अचानक मानसिक संतुलन खो बैठा और उसकी मृत्यु धीरे धीरे हुई।
सरकारी उपेक्षा के शिकार बने महान Mathematician Vashishtha Narayan Singh उनके शव को ले जाने के लिए नहीं मिल पाई एम्बुलेंस |
भारत में न्यूक्लिर प्लांट लगाने की घोषणा करते ही होमी भाभा हो या पहला विमान बनाने वाले शिवकर बापूजी तलपड़े हो या पूरी दुनिया के सबसे बड़े गणितज्ञ रामानुजन हो सबके साथ छल हुआ सबकी मृत्यु संदेह खड़ा करती हैं। लोकनाथ महालिंगम, उमा नरसिम्हा राव, रवि मुले, एम अय्यर, KK जोशी, अभिष शिवम, उमंग सिंह, पार्था प्रतिम बाग आदि महान वैज्ञानिको की हत्या कर दी गई आज तक जाँच चल रही हैं किसी को भी न्याय नहीं मिल पाया।
इतने बड़े पैमाने पर भारत के अनमोल रत्नो का हानि हो रहा हैं फिर भी सरकार भारत के महान वैज्ञानिको के सुरक्षा की कोई ठोस व्यवस्था नहीं करती वैज्ञानिक कभी भी अपने स्वार्थ हेतु कार्य नहीं करता वह वैज्ञानिक हैं जिसकी वजह से हमें जीवन के हर कदम पर किसी न किसी रूप से बिना किसी स्वार्थ के लालच के हमारी मदद कर रहा हैं। वैज्ञानिक ही एक मात्र ऐसा जाती है जिसका कार्य एक व्यक्ति के लिए नहीं बल्कि पुरे मानवकल्याण और विश्वकल्याण के लिए होती हैं। भारत में ऐसे महान वैज्ञानिको की दुर्दशा और असुरक्षा देख कर मन बड़ा व्यथित होता हैं। ह्रदय को असहनीय पीड़ा पहुँचती हैं।
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बहुत ही उमदा लेख
Rohit Kumar
Good Article
गुरूजी इन हिंदी
bahut bahut dhnywaad _/_
गुरूजी इन हिंदी
dhnywaad
रजनी
बहुत बुरा हुआ हूं बिहार के लाल के साथ।