शारदीय नवरात्र पर माता दुर्गा की विशेष रूप से पूजा की जाती हैं। माता दुर्गा ने सृष्टि के सही संचालन हेतु अपने भक्तों की रक्षा हेतु, भक्तों को सिद्धि का वरदान देने हेतु समय समय पर विभिन्न रूपों में अवतरित हुई हैं। नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्र के इस उत्सव में माँ दुर्गा द्वारा लिए गए नौ रूपों का विधि-विधान से पूजा-अर्चना किया जाता हैं। माँ दुर्गा के नौ रूप निम्न लिखित हैं :-
प्रथम रूप – माँ शैलपुत्री
द्वितीय रूप – माँ ब्रह्मचारिणी
तृतिया रूप – माँ चन्द्रघण्टा
चतुर्थ रूप – माँ कूष्माण्डा
पंचम रूप – स्कन्दमाता
षष्ठी रूप – माँ कात्यानी
सप्तम रूप – माँ काल रात्रि
अष्टम रूप – माँ महागौरी
नवम रूप – माँ सिद्धिदात्री
माँ दुर्गा के प्रथम रूप का नाम शैलपुत्री हैं। इनकी पूजा-अर्चना नवरात्र के प्रथम दिन ही की जाती हैं। माँ शैलपुत्री हिमालयराज या पर्वतराज की पुत्री थी। इसीलिए इनका नाम शैलपुत्री और पार्वती पड़ा। हिमालय पुत्री होने के नाते इनका नाम हिमावती भी हैं। पार्वती जी शक्ति की रूप थी इसीलिए इनका विवाह महादेव के साथ हुई थी।
Ma Shailputri |
शिवजी ने अपनी धर्मपत्नी पार्वती जी को अमर कथा सुनाई थी। इस कथा की विशेषता यह है की यह कथा जो भी सुन लेता हैं वो मृत्यु पर विजय प्राप्त कर अमर हो जाता हैं। कश्मीर के गुफा में भगवान् शिव ने माता पार्वती को यह कथा सुनाई थी आज वह जगह या वह गुफा अमरनाथ के नाम से प्रसिद्ध हैं तथा प्रत्येक साल शिव भक्त कठिन चढ़ाई चढ़ के भगवान् भोले नाथ के दर्शन करने जाते हैं। इस गुफा में भोलेनाथ बर्फ के शिवलिंग रूप में विराजमान हैं इसीलिए भक्त उन्हें बर्फानी बाबा के नाम से भी पुकारते हैं।
Bhagwaan Shiv Mata Parvati |
अमर कथा से जुडी एक कहानी यह हैं की जब भोलेनाथ यह कथा माँ पार्वती को सुना रहे थे तो एक तोते के जोड़े ने भी यह कथा सुन ली थी वो दोनों भी अजय अमर हो गए थे। कहा जाता हैं की वो दोनों तोता आज भी अमरनाथ गुफा के आसपास उड़ते हुवे दिख जाते हैं।
गणेश जी और कार्तिके जी भगवान् शंकर और पार्वती जी के दो पुत्र हैं। श्री गणेश जी को गणनाओ का ईश्वर कहा जाता हैं। वह श्री गणेश जी ही थे जिन्होंने पुरे विश्व का सबसे बड़ा ग्रन्थ महाभारत को बिना रुके बिना बोले पूरी तन्मयता से 100% शुद्ध लिखा हैं जिसमे रति भर की भी त्रुटि निकालने वाला जन्म नहीं लिया।
Shivji and Parwati ji, Ganesh ji, kartike ji |
Mata Sati |
Daksh Prajapati |
पार्वती तू उमा कहलावे, जो सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि प्रदान करे तू, दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी, आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सागरी आस पूजा दो, सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो।
घी का सुन्दर जला के, गोला गड़ी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाय, प्रेम सहित शीश झुकावे