नवरात्र भारत में मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहारों में से एक हैं। एक वर्ष में चार प्रकार के नवरात्र होते हैं जिनमे से दो नवरात्र शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात बहुत प्रसिद्ध हैं वही अन्य दो गुप्त नवरात्र तांत्रिक सिद्धियों की द्रिष्टि से प्रसिद्ध हैं। सनातन काल से ही रात्री का महत्व दिन से ज्यादा रहा हैं। सनातन काल से ही योगियों द्वारा, तपस्वियों द्वारा रात्री का सदुपयोग किया हैं और अनेक सीढियाँ और शक्तियाँ प्राप्त की हैं। भारत में लगभग सभी प्रमुख त्यौहार रात्री में ही मनाये जाते हैं जैसे दिवाली, नवरात्री, शिवरात्री, दशहरा या विजयादशमी आदि। शादी आदि पूजा कर्म भी विशेषतः रात्री में ही संपन्न किए जाते हैं।
Ma Brahmcharini puja vidhi |
नवरात्र के दूसरे दिन देवी दुर्गा के दूसरे रूप माँ ब्रह्मचारिणी की विशेष रूप से पूजा की जाती हैं। माता दुर्गा ने सृष्टि के सही संचालन हेतु अपने भक्तों की रक्षा हेतु, भक्तों को सिद्धि का वरदान देने हेतु समय समय पर विभिन्न रूपों में अवतरित हुई हैं। नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्र के इस उत्सव में माँ दुर्गा द्वारा लिए गए नौ रूपों का विधि-विधान से पूजा-अर्चना किया जाता हैं। माँ दुर्गा के नौ रूप निम्न लिखित हैं :-
द्वितीय रूप – माँ ब्रह्मचारिणी
तृतिया रूप – माँ चन्द्रघण्टा
चतुर्थ रूप – माँ कूष्माण्डा
पंचम रूप – स्कन्दमाता
षष्ठी रूप – माँ कात्यानी
सप्तम रूप – माँ काल रात्रि
अष्टम रूप – माँ महागौरी
नवम रूप – माँ सिद्धिदात्री
माँ दुर्गा के दूसरे रूप का नाम ब्रह्मचारिणी हैं इनकी पूजा तथा अराधना नवरात्र के दूसरे दिन की जाती हैं। सिद्धि तथा तपस्या का फल जल्दी देने वाली यह देवी दूसरी दुर्गा के रूप में जानी जाती हैं। ब्रह्मचारिणी का अर्थ ही होता हैं कठिन तपस्या का आचरण करने वाला। भगवान् शिव जी को अपने पति के रूप में स्वीकार करने के लिए माता ब्रह्मचारिणी ने हजारो सालो तक निर्जला तपस्या की थी।